■ जिला प्रशासन का सार्वजनिक स्थानों पर छठपूजा नही करने का आग्रह.।
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पालघर.। कोरोना के वैश्विक महामारी के बीच सार्वजनिक जगहों पर लोक आस्था के महापर्व छठ पूजा पर सरकार के पाबंदी के बीच व्यक्तिगत रुप से घरों पर सूर्योपासना के साथ छठ मैय्या की चार दिनों तक चलने वाले देश के विभिन्न राज्यों समेत विश्व के कोने- कोने में श्रद्धापूर्ण नियमों से अस्तांचल व उगते सूर्य को अर्घ्य देने वाला महापूजा का आगाज बुधवार को नहाय खाय से विकट तपस्या के साथ हो गयी।
◆चार दिनों का तोपोब्रत का हुआ आगाज◆
कार्तिक मास शुक्ल पक्ष चतुर्थी 18 नवबंर बुधवार से आरंभ चार दिनों का तपब्रत का समापन शनिवार 21 नवंबर को पाव फटते सूर्य को अर्घ्य देने से होगा। बुधवार की शाम लौकी अरवाँ चावल खाकर छठब्रती अगले दिन शाम को शाकाहारी साधारण तरिके से पूरे दिन उपवास के पश्चात पंचमी के शाम को खरना के दिन मिट्टी के चुल्हे अथवा शाकाहारी चुल्हे पर नये चावल का खीर गन्ने का गुड़ या रस ,गाय के दुध में बनाते हुए घी मेंके चुपड़ी रोटी का प्रसाद तैयार कर भगवान के भोग लगाने के उपरांत पास पडो़स,ईष्ट मित्रों में बांटते हुये छठब्रती खरना करते 36 घंटो के कठिन तप को बिना जलग्रहण किये पुरे स्चच्छता के नियमानुसार आरंभ कर देते है।
●सूर्यषष्ठी को कल अस्तांचल सूर्य को दिया जायेगा अर्घ्य●
छठब्रती तीसरे दिन षष्टी नक्षत्र में शुक्रवार को पुरे दिवस उपवास के उपरांत नदी,तलाबों के बाद इस बार कोरोनाकाल में सांकेतिक कृत्रिम बनाये गये घाटों पर सायं अस्तांचल सूर्य को अर्घ्य और चौथे दिन सप्तमी शनिवार को सुबह उषाकाल में उगते सूर्य को पानी में खड़े होकर पूजन करते गाय के दूध से अर्घ्य देते हुए कठोरतम तप का विश्राम प्रसाद वितरण करते हुए करेगें।
●प्रशासन ने संक्रमण के खतरे से सार्वजनिक छठ पूजा पर लगाई रोक◆
औद्योगिक शहर बोईसर में स्थित विभिन्न सार्वजनिक छठ घाटों पर जिला प्रशासन की ओर से जारी गाईड लाईन के मुताबिक सार्वजनिक छठपूजा को लेकर रोक लगा दी गयी है। ऐहतियातन घरों में सांकेतिक पूजा करने का आग्रह ग्रामपंचायतों एवं स्थानीय पुलिस प्रशासन की ओर से इस महामारी से बचने को लेकर की गयी है।