पालघर। आम और खाश लोगों के बीच साफगोई व मजलूमों की हर ख्वाहिश को पुरा करने की कद्र करने वाले नामचीन शख्सियत के मालिक हरदिल अजीज हिंदी मुस्लिम एकता की हर वक्त दुहाई देने वाले भारत के प्रमुख दरगाहों पर भाईचारे की दरख्वास्त कर रहे सुफी संत हजरत सैयद मीरशाह बाबा पैगंबर हजरत मुहम्मद के प्यारे बन गये। वे 65 वर्ष के थें।
जानकारों के मुताबिक हजरत सैयद मीरशाह बाबा का इंतकाल औद्योगिक शहर बोईसर पूर्व स्थित शिंगाव के उनके निवास स्थान पर हृदयाघात से रविवार को हो गया। वे तकरीबन 20 वर्षों से यहां रहकर लोगों की दीन ए ईलाही के रुप में सेवा करते आ रहे थें।
हजरत सैयद मीरशाह बाबा से इत्तेफाक रखने वाले उनके मुरीदों के मुताबिक उनके पैतृक निवास उत्तर प्रदेश के गौंडा में सुपुर्देखाक किया गया है। उनके इंतकाल की खबर से तमाम अनुआईयो में बेहद अफसोस है।
हजरत सैयद मीरशाह बाबा ऐसे शख्सियत के इंसान रहे कि हमेशा लोगों को मदद पहुंचाने में कभी गुरेज नही की।गंगा जमुनी तहजीब की वकालत करने वाले बाबा की ओर से हर साल बोईसर टीमा ग्राऊंड में आयोजित मजलिस में कई हजार अनुआई उनके आवाज को सुनने के साथ उनके द्वारा लगाये गये लंगर में बड़े तादाद में हिंदू मुस्लिम शामिल होना सौभाग्यशाली मानते थे।
सैयद मीर शाह बाबा के इंतकाल पर अफसोस जताते शिवशक्ति सामाजिक संगठना पालघर के प्रमुख संजय ज.पाटिल रुंधे गले से कहते है कि बोईसर ने जरूर एक ऐसा फकीर खोया है जिसकी भरपाई बड़ी मुश्किल से दो संप्रदायों की एकता को लेकर आगे की जायेगी। वास्तव में उनके दिखाये रास्तों से समाज के साथ यहां के लोगों का जरूर भला होता रहा है।