Reported By: Ved Prakash Mishra
Published on: May 21, 2021 | 11:21 AM
599
लोगों ने इस खबर को पढ़ा.
हाटा/कुशीनगर | कोरोना काल में पंचायत चुनाव कराने की सरकार की हठधर्मिता के कारण शिक्षकों और कर्मचारियों को भारी कीमत चुकानी पड़ी है। मृत शिक्षकों के परिवार के प्रति संवेदना प्रकट करने की बजाय अधिकारी अब आंकड़ों की बाजीगरी करके नियमों की आड़ में उनका हक मारने पर जुटे हुए हैं। इसे कत्तईं बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।
उक्त बातें उत्तर प्रदेश माध्यमिक शिक्षक संघ के जिलाध्यक्ष ओमप्रकाश सिंह व जिलामंत्री अनिल कुमार दूबे ने कही है। कहा कि प्रदेश में संगठन के आंकड़ों के अनुसार 1621 से अधिक शिक्षक चुनाव के दौरान कोरोना की चपेट में आने से ड्यूटी के दौरान या बाद में दिवंगत हुए हैं लेकिन सरकार के अनुसार यह संख्या केवल तीन बताई जा रही है। यह स्थिति अत्यंत दुर्भाग्यपूर्ण है। जनपद में भी जानकारी के अनुसार 20 बेसिक और 5 माध्यमिक शिक्षक अपनी जान गंवा चुके हैं। दर्जनों शिक्षक गम्भीर रूप से बीमार रहे हैं और कई के परिजन भी उनके कारण या तो बीमार रहे हैं या दिवंगत हो चुके हैं। इतनी कुर्बानी चुकाने के बाद भी आंकड़ों को छिपाने की कोशिश हो रही है ताकि मृत शिक्षकों के परिवार को मुआवजा न देना पड़े। संगठन इनके परिवारों के साथ अन्याय नहीं होने देगा। गोरखपुर फैजाबाद क्षेत्र के शिक्षक विधायक ध्रुव कुमार त्रिपाठी ने जिला इकाई से सूची तलब की है। संगठन ने इस अन्याय के खिलाफ सरकार के समक्ष अपनी बात रखी है। माध्यमिक शिक्षा के शिक्षकों में नवजीवन इण्टर कालेज पटहेरवा के प्रधानाचार्य वीरेंद्र कुमार सिंह 19 अप्रैल को, बुद्ध इण्टर कालेज कुशीनगर के शिक्षक मिथिलेश गोंड़ 24 अप्रैल को, जितेन्द्र स्मारक इण्टर कालेज नरायनपुर कोठी के शिक्षक दीनानाथ 2 मई को, जितेन्द्र स्मारक इण्टर कालेज नरायनपुर कोठी के शिक्षक रविन्द्र नाथ सिंह 13 मई को तथा नेहरू इंटर कालेज पटहेरवा के संलग्न प्राइमरी के शिक्षक अयोध्या प्रसाद कुशवाहा 14 मई को चुनाव ड्यूटी के दौरान संक्रमित होने के कारण अपनी जान गंवा चुके हैं। सरकारी आंकड़ों में यह संख्या शून्य दिखाई जा रही है जिससे जनपद के शिक्षकों में भारी आक्रोश व्याप्त है। शिक्षकों का कहना है कि सरकार मृत शिक्षकों के परिवारों के प्रति न्याय करे।
Topics: हाटा