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जी आप भी जानिये!!यूपी के इस थाने में पांच साल से नहीं दर्ज हुई एक भी एफआईआर, फिर भी कोई पुलिसवाला नहीं चाहता पोस्टिंग

Surendra nath Dwivedi

Reported By:
Published on: Oct 15, 2020 | 9:03 PM
1116 लोगों ने इस खबर को पढ़ा.

जी आप भी जानिये!!यूपी के इस थाने में पांच साल से नहीं दर्ज हुई एक भी एफआईआर, फिर भी कोई पुलिसवाला नहीं चाहता पोस्टिंग
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उत्तर प्रदेश के महराजगंज जिले में एक ऐसा भी थाना है, जहां पांच साल में लूट, हत्या, डकैती, चोरी जैसे गंभीर अपराध का एक भी केस दर्ज नहीं किया गया है। अब आप सोच रहे होंगे कि ऐसा कैसे हो सकता है? वास्तव में क्या ऐसा थाना है? अगर है तो कौन सा? जी, हां यह बिल्कुल सही है, ऐसा थाना है सोहगीबरवा।

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तीन गांव की आबादी के कार्य क्षेत्र वाले इस थाने क्षेत्र में गंभीर अपराध होते ही नहीं है। यहां तक की चोरी भी इस इलाके में नहीं होती है। अपराध ना होने की वजह से यहां पर पीस कमेटी का गठन तक नहीं किया गया है। सिपाही गश्त पर भी नहीं जाते हैं। बैंक कोई है नहीं इस वजह से बैंक ड्यूटी का कॉलम सिर्फ जीडी में ही दर्ज है। अफसरों ने सख्ती की तो आठ महीने में 43 मामले दर्ज किए गए वह भी आबकारी एक्ट के, इसके अलावा एक एनसीआर तक नहीं दर्ज करनी पड़ी। हालांकि जंगल इलाका होने की वजह से यहां पर पर्याप्त फोर्स की पोस्टिंग है।
उत्तर प्रदेश-बिहार की सीमा पर जंगल के डकैतों के आतंक को खत्म करने के लिए शासन के आदेश पर 2003 में थाने की स्थापना की गई थी। थाने में एक सब इंस्पेक्टर, एक एसआई, आठ सिपाही ही तैनात थे। हालांकि यह संख्या अक्सर अचानक बढ़ जाती है, क्योंकि जब अफसर नाराज होते हैं तो इसी थाने पर पोस्टिंग करते हैं। पुलिस वालों के लिए यहां पर तैनाती काला पानी की सजा से कम नहीं है।
थाने की भौगोलिक स्थिति कुछ ऐसी है कि थाने पर यदि कोई अफसर जाना चाहे तो उसके लिए स्कोर्ट को असलहा जमा करना पड़ता है। थाने पर पहुंचने के लिए कुशीनगर के खड्डा से होते हुए बिहार के पश्चिमी चंपारण के नौरंगिया से होकर जाना पड़ता है। नेपाल के रास्ते जाने के लिए एसपी के स्कोर्ट को निचलौल के झुलनीपुर पुलिस चौकी पर असलहा जमा करना पड़ता है। बाढ़ आने पर चारों ओर से थाना पानी से घिर जाता है। सीधे महराजगंज आने का कोई रास्ता नहीं है। नदी में नाव के सहारे ही सीधे आया जा सकता है या फिर बिहार, नेपाल से होकर आना पड़ता है। बाढ़ के समय में थाना की गाड़ी खड़ी हो जाती है। एक बार तो पुलिस वालों को फाइल बचाने के लाले पड़ गए थे।
इस थाने के निरीक्षण पर कोई अफसर नहीं जाता है। यहां तक की फरियादी ना आने की वजह से कई अफसर इस थाने के बारे में जान ही नहीं पाते हैं। करीब तीन साल पहले थाने की भौगोलिक स्थिति को जानने के बाद आईजी रहे नीलाब्जा चौधरी ने इस थाने का निरीक्षण किया था। इसके लिए उनको नेपाल बार्डर पर असलहा को जमा करना पड़ा था। थाने की भौगोलिक स्थिति को देखते हुए ही एडीजी जोन दावा शेरपा ने यहां पर विशेष दस्ता का गठन कर दिया है। जिन पुलिस वालों की शिकायत बढ़ जाती है, उसे इस दस्ता में भेज देते हैं। हालांकि एडीजी अपने आदेश में यही लिखते है कि विशेष कार्य दक्षता को देखते हुए पोस्टिंग की जा रही है। अब तक दस से ज्यादा लोगों को इसी तरह उस दस्ते में भेजा चुका है।

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