पालघर। कोरोना के महामारी और दिन दुना संक्रमितों की मरने की खबर से लोग घबराये हुए है।अपने परिजनों की अंतिम क्रिया तक लोग ठीक से करने को तैयार नही हो रहे है। सरकार भी नही चाहती कि कोरोना संक्रमण मृत शरीर से दुसरों तक फैले। जिसके लिए शासन की ओर से स्वयं का बंदोबस्त किया गया है। लेकिन स्मशान भूमि में जब एक मृत कोविड रोगी का अंतिम संस्कार की समस्या आन पड़ी हो तो क्या कहेंगे.?
●कवर स्टोरी :-जज्बे को सलाम ! ●
इस विषम परिस्थिति में मानवीय संवेदनाओं से ओतप्रोत, सामाजिक दायित्व की निर्वहन करनी की मार्मिक जिम्मेदारी की “डाँक्टर डे” पर उन कोरोनायोद्धा चिकित्सकों की कवर स्टोरी करने की कोशिश के दौरान पालघर जिले में कोरोना से पहली मौत पर स्मशान भूमि में अंतिम संस्कार से कर्मचारियों को मना करना और भाग खड़ा होना बड़ी बात है।लेकिन इन विकट परिस्थितियों में जीवनदान देने वाले डाँक्टर बंधुओं पालघर तालुका के वैद्यकीय चिकित्सक डाँ.अभिजीत खंडारे व डाँ.उमेश दुप्पलवार ने पूरे विधि विधान से जीवन की अंतिम क्रिया भी कर डाली।
हुआँ यूँ कि जिले में पहली अप्रैल को कोविड रोगी की पहली मौत के साथ ही जिले म़ें कोरोना को लेकर बड़ी उहापोह बनी हुई थीं। एसे में रात में ही पालघर पूर्व स्मशान भूमि में अंतिम क्रिया को लेकर पहुंचने पर वहां मौजूद कर्मचारियों ने कोरोना से मौत की बात सुनकर अंतेष्टि करने से नकारते हुए भाग खड़े हुए। अनेक कर्मचारियों से टेलिफोनिक बातचीत हुई लेकिन सभी के तरफ से निरूत्तर डाँक्टर द्वय ने अंतिम बार स्वयं अंतेष्टि का फैसला लेते हुए स्वयं लकडिय़ों को इकट्ठा किया ही पुरे सम्मान के साथ मृतात्मा को मुखाग्नि देकर चिकित्सकों का सम्मानिय रूप को दिखा दिया। जिसे आज तहे दिल से सलाम कर रहे है।
डाँ. खंडारे इसके पूर्व26/11 के आंतकी हमले के दौरान मुंबई के जेजे अस्पताल में भी उत्कृष्टता पूर्ण कार्य करते हुए सम्मानित किये जा चुके है। पालघर तालुका में कोरोनायोद्धाओं के साथ जारी जंग में कोरोना के रोगियों की संख्या बढे़ नही इसके लिए दिनरात सहयोगियों के साथ डटे हुए है।