पालघर.। प्रभु श्री राम हमारे अराध्य है। तमाम प्रयोजनों का शुभारंभ रामनाम से ही की जाती है।पालघर जिले का सभी आदिवाशी समाज श्रीराम को पूर्वज के रुप में उनके मर्यादाओं का अनुसरण करना चाहता है।
यह भी सत्य है कि पराक्रमी,परमज्ञानी,
वेद्यज्ञाता,विद्वान लंकापति रावण के क्षमताओं को नकारा नही जा सकता है उनके व्यक्तित्व व कृतित्व के सभी कायल है। लेकिन यह कत्तई विश्वास योग्य नही है कि आदिवासी समाज रावण का वंशज है।
इस आशय से पालघर जिलाधिकारी व पुलिस अधिक्षक को लिखे पत्र के माध्यम आदिवासी एकता मित्र मंडल पालघर के सचिव किसन नारायण भुआल ने जिले में किसी भी संगठन द्वारा किये जाने वाला रावण पूजन का विरोध करेगी। आदिवासी एकता मित्र मंडल पालघर श्रीराम का अपमान तथा रावण पूजन का विरोध दर्ज कराते हुए रावण दहन का हिमायती है। जिलाप्रशासन से भुआल ने किसी भी अप्रिय घटना से पूर्व उचित कारवाई की मांग किया है।
जानकारी के लिए बतादें कि जिले की एक और सामाजिक संगठना आदिवासी एकता परिषद के सचिव की ओर से मंगलवार को पालघर जिलाधिकारी व पुलिस अधिक्षक को दिये गये पत्रक में आदिवासी राजा रावण दहन प्रथा को बंद कराने की मांग तथा आगामी दशहरा को सुबह 9.00 बजे से पालघर चार रास्ता क्रांतिवीर विरसा मुंडा चौक पर राजा रावण के प्रतिमा के पूजन का कार्यक्रम का आयोजन आदिवासी एकता परिषद की ओर से किया गया है।
आदिवासी एकता परिषद पालघर का मत है कि राजा रावण आदिम संस्कृति के श्रद्धा स्थान है।दक्षिण भारत समेत मध्यप्रदेश,छत्तीसगढ़ ,झारखंड व महाराष्ट्र के तमाम मंदिरों में आदिवासी राजा रावण की पूजा की जाती है।आदिवासी बाहुल्य जिले पालघर में रावण दहन की अनुमति न देने व प्रथा बंद कराने की भादवि की धाराओं का हवाला देते मांग किया गया है।
जिला प्रशासन अब इस द्वंद्व पर अंत़िम निर्णय क्या लेता है देखने वाली बात है. ??