Reported By: Ved Prakash Mishra
Published on: Nov 26, 2020 | 1:01 PM
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हाटा/कुशीनगर | वृहस्पतिवार को उत्तर प्रदेश के सभी ऊर्जा निगमों के बिजली कर्मियों ने देश के सभी प्रांतों के 15 लाख बिजली कर्मचारियों, जूनियर इंजीनियरों और अभियन्ताओं के साथ केन्द्र और राज्य सरकारों की निजीकरण की नीति के विरोध में जोरदार विरोध प्रदर्शन किया। यहाँ हुई विरोध सभा में विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति, उप्र के विधुत वितरण खंड हाटा के जूनियर इंजीनियर व खंडिय सचिव प्रदीप कुमार शर्मा ने बताया कि कोविड-19 महामारी के बीच केन्द्र सरकार और कुछ राज्य सरकारें बिजली वितरण का निजीकरण करने पर तुली हैं जिसके विरोध में देश भर के बिजली कर्मियों ने प्रदर्शन कर आक्रोश व्यक्त किया। प्रदेश भर में आज विरोध सभायें व प्रदर्शन कर निजीकरण के उद्देश्य से लाये गए इलेक्ट्रिसिटी(अमेंडमेंट) बिल 2020 और बिजली वितरण के निजीकरण के स्टैण्डर्ड बिडिंग डॉकुमेंट को निरस्त करने की मॉंग की और चेतावनी दी कि यदि निजीकरण की प्रक्रिया पूरी तरह वापस न की गई तो राष्ट्रव्यापी हड़ताल की जाएगी।
उन्होंने बताया कि बिजली कर्मियों ने उपभोक्ताओं खासकर किसानों और घरेलू उपभोक्ताओं से निजीकरण विरोधी आन्दोलन में सहयोग करने की अपील की और कहा कि निजीकरण के बाद सबसे अधिक नुक्सान आम उपभोक्ताओं का ही होने जा रहा है। उन्होंने बताया कि इलेक्ट्रिसिटी (अमेंडमेंट) बिल 2020 और बिजली वितरण के निजीकरण के स्टैण्डर्ड बिडिंग डॉकुमेंट के अनुसार लागत से कम मूल्य पर किसी को भी बिजली नहीं दी जाएगी और सब्सिडी समाप्त कर दी जाएगी। वर्तमान में बिजली की लागत लगभग रु 07.90 प्रति यूनिट है और कंपनी एक्ट के अनुसार निजी कंपनियों को कम से कम 16 प्रतिशत मुनाफा लेने का अधिकार होगा जिसका अर्थ यह हुआ कि 10 रु प्रति यूनिट से कम दाम पर किसी भी उपभोक्ता को बिजली नहीं मिलेगी।
उन्होंने बताया कि स्टैण्डर्ड बिडिंग डॉकुमेंट के अनुसार निजी कंपनियों को डिस्कॉम की परिसंपत्तियां कौड़ियों के दाम सौंपी जानी है, इतना ही नहीं तो सरकार डिस्कॉम की सभी देनदारियों व् घाटे को खुद अपने ऊपर ले लेगी और निजी कंपनियों को क्लीन स्लेट डिस्कॉम दी जाएगी । निजीकरण के सरकार के दस्तावेज के अनुसार सरकार बाजार से महँगी बिजली खरीद कर निजी कंपनियों को सस्ती दरों पर बिजली उपलब्ध कराएगी जिससे उन्हें घाटा न हो। नई नीति के अनुसार डिस्कॉम के 100 प्रतिशत शेयर बेंचे जाने है और सरकार का निजीकरण के बाद कर्मचारियों के प्रति कोई दायित्व नहीं रहेगा। कर्मचारियों को निजी क्षेत्र के रहमोकरम पर छोड़ दिया जाएगा।
उन्होंने बताया कर्मचारियों की अन्य प्रमुख मांग है – केरल के केएसईबी लिमिटेड की तरह उप्र में भी सभी ऊर्जा निगमों का एकीकरण कर यूपीएसईबी लिमिटेड का गठन किया जाए, निजीकरण और फ्रेन्चाईजी की समस्त प्रक्रिया निरस्त की जाए और ग्रेटर नोएडा का निजीकरण व आगरा का फ्रेन्चाइजी करार रद्द किया जाए, सभी बिजली कर्मियों के लिए पुरानी पेंशन प्रणाली लागू की जाए, तेलंगाना की तरह ऊर्जा निगमों में कार्यरत सभी संविदा कर्मियों को नियमित किया जाए और नियमित पदों पर नियमित भर्ती की जाए, सभी संवर्गों की वेतन विसंगतियों का निराकरण किया जाए और पूर्व की भाँति सभी संवर्गों को तीन पदोन्नति पद के समयबद्ध वेतनमान दिए जाएं।
Topics: सरकारी योजना हाटा