Reported By: न्यूज अड्डा डेस्क
Published on: Mar 3, 2021 | 1:16 PM
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तमकुहीराज/कुशीनगर। गृहणियों की दिनचर्या सोमवार से बदल गई हैं। गुलाबी ठंड के बीच बीते साल की फरवरी-मार्च की तरह सुबह में स्कूल ड्रेस, पानी का बोतल और लंच के इर्द-गिर्द समय बीतने लगे तो स्कूलों में एक बार फिर से बचपन खिलखिला उठा। पीटी, व्यायाम और प्रार्थना के साथ कक्षाएं शुरू हुई और स्कूल की घंटी की शोर सुनाई देने लगी।
बच्चों के बहाने माता-पिता और दादा जी के दिनचर्चा के साथ पुराने दोस्तों से मुलाकात का अवसर मिला। शहर में रहने के बाद भी दूर-दूर रह रहे थे। बच्चों के तैयार करने से महिलाओं की दिनचर्या शुरू होने लगी। लोगों की तकरीबन 11 माह बाद विद्यालय खुलने से कोरोना काल के पहले वाली दिनचर्या लौट आई है। स्कूल के लिए जा रहे नन्हे मुन्ने बच्चो के चेहरे खिलने लगे हैं। नौनिहालों की प्रसन्नता से यह उजागर हो रहा हैं कि लंबे समय बाद बच्चों में अपने सहपाठियों से मिलने की काफी जल्दी थी। तमकुही विकास खण्ड के सभी सरकारी विद्यालयों के साथ-साथ दर्जनों निजी स्कूलों में पुन: रौनक़ लौट गयी हैं। अपने शिष्यों को देख गुरूजनों की की बांछें खिल आई हैं। लंबी जुदाई ने शिक्षकों में भी काफी बदलाव ला दिया था। छात्रों के सामने हमेशा सख्त रहने वाले शिक्षक काफी नम्र दिख रहे हैं। छात्र और शिक्षक खुलकर एक दूसरे से बातचीत कर रहे हैं । हालांकि संक्रमण को लेकर जारी गाइडलाइन के कारण विद्यालय संचालन का तरीका काफी बदला – बदला सा हैं। इन सबके बावजूद भी तमकुही विकास खण्ड में लापरवाह शिक्षक अपने आदतों से बाज नही आ रहे हैं और विद्यालय की कार्यावधि में भी सड़क, बाजार, चाय की दुकान या बैंक व बीआरसी केन्द्र पर नजर आ रहे हैं। कही विद्यालय देरी से खुल रहे हैं तो कही समय से पहले ही बंद हो जाना शुरू हो गया हैं। चर्चा है कि विभागीय जिम्मेदारों का चहेता साबित कर कुछ शिक्षक विद्यालय से गायब रह रहे हैं तो कुछ अकेले ही विद्यालय की जिम्मेदारी संभाल परेशान दिख रहे हैं तो कुछ विद्यालय पर रहने के वावजूद भी अपने को पठन पाठन की प्रक्रिया से दूर रहकर अपने अधीनस्थों पर अपनी हनक दिखा रहे हैं। अभिभावकों का कहना है कि बच्चो के स्कूल जाने के बाद लापरवाह व लेटलतीफी शिक्षको की पोल खुलने लगी है तो वही जिम्मेदार भी केवल हाइवे व लिंकमार्गो के किनारे स्थित विद्यालयों की जांच कर कोरमपूर्ती करते नजर आ रहे हैं तो वही बाहरी टीम भी ब्लाक के जिम्मेदारों के दिशानिर्देशन में ही विद्यालयों की जांच करती हुई दिखाई दे रही हैं, जिससे चहेते शिक्षको पर कार्रवाई नही हो पा रही हैं। नियमित व कर्तव्यनिष्ठ शिक्षक इस दोहरी व्यवस्था से अपने को उपेक्षित महसूस कर रहे है।
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