Reported By: Surendra nath Dwivedi
Published on: Mar 15, 2022 | 3:59 PM
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कुशीनगर। होली पर खाद्य पदार्थों में मिलावट फिर तेजी से बढ़ गई है। खाद्य एवं औषधीय विभाग के इसकी रोकथाम के लिए छापेमारी तो कर रहा है लेकिन फिर भी बाजार में इन्हें खुलेआम बेचा जा रहा है। विशेषज्ञों का कहना है कि होली पर बाजार में आई ज्यादातर चीजों में मिलावट है। लोगों ने अगर सतर्कता नहीं बरती तो उनकी सेहत बिगड़ सकती है। होली के मौके पर मावा, नमकीन, पापड़, पनीर, मिष्ठान, खाद्य तेल जैसी चीजों में घातक रसायनयुक्त रंग और अखाद्य पदार्थ मिलाकर इन्हें बेचा जा रहा है। त्योहार पर खोवा, पनीर में भी खूब मिलावट की जा रही है।
पनीर में स्टार्च मिलाया जा रहा है, जिससे पनीर का रंग निखर जाता है। विशेषज्ञों की माने तो इसकी पहचान करने के लिए पनीर को पानी में उबाल कर ठंडा कर लें। इसके बाद थोड़ा सा आयोडीन सॉल्यूशन डालें। अगर रंग नीला हो जाए तो समझ लें कि पनीर में स्टार्च की मिलावट है। वही खोवा को उंगली से मसलकर उसकी गुणवत्ता पता की जा सकती है। मिलावटी खोवा दानेदार होता है। शुद्ध खोवा में चिकनाई होती है। दूसरा तरीका यह भी है कि खोवा को अपने अंगूठे के नाखून पर रगड़ें। अगर यह शुद्ध होगा, तो उससे घी की खुशबू आएगी और देर तक रहेगी। अगर रगड़ने पर खोवा फटने लगे तो समझ जाएं कि नकली है। दो ग्राम खोवा को पांच मिलीग्राम गरम पानी में घोलकर ठंडा होने दें। ठंडा होने पर इसमें आयोडीन सोल्यूशन डालें। खोवा मिलावटी होगा तो उसका रंग नीला हो जाएगा। थोड़ी चीनी डालकर गरम करें, अगर पानी छोड़ने लगे तो भी समझिए कि खोवा नकली है।
तरयासुजान सीएचसी के प्रभारी अमित राय: ने बताया कि मिठाइयां खरीदने में सावधानी बरतें। खोवा से बनी मिठाई खरीदने से पहरेज करें। रंगों में किसी तरह का पोषकतत्व नहीं होता है। यह सिर्फ मिठाइयों की सजावट के काम आते हैं। सिंथेटिक रंगों से तैयार मिठाई स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है। इससे पाचन क्रिया को नुकसान पहुंचाता है। पेट में गड़बड़ी, सिरदर्द, अनिंद्रा, त्वचा रोग जैसी शिकायतें सामने आती हैं। खोवा में सड़े आलू, मिल्क पाउडर, सिंथेटिक मैटेरियल की मिलावट होती है। इससे पेट दर्द, उल्टी, तेज बुखार, संक्रमण, लिवर में सूजन, चक्कर आना और जी मिचलाना जैसी समस्या हो सकती है। तेल में पाम ऑयल, वेजिटेबल ऑयल, आजींमोन, प्योरिफाइड इंजन ऑयल, घातक केमिकल एसेंस की मिलावट होती है। इससे आंखों में जलन, त्वचा रोग, रतौंधी, लंबे समय तक के इस्तेमाल से कैंसर का खतरा रहता है।
Topics: तमकुहीराज