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“आज है “ईद” ….लाया है खुशियों का सौगात, मिले गले और बाँटे प्यार “

न्यूज अड्डा डेस्क

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Published on: Apr 22, 2023 | 7:35 AM
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“आज है “ईद” ….लाया है खुशियों का सौगात, मिले गले और बाँटे प्यार “
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  • रोजा , नमाज, इबादत का  मिला है इनाम   खुशियों का तोहफा मिला है है “ईद का उपहार
  • प्यार -मोहब्बत, भाईचारा व  इंसानियत का पैगाम देता  है, “ईद” 

कसया, कुशीनगर । रोजे, नमाज व इबादत का मिला तोहफा व इनाम है, ईद उल फ़ितर (ईद )l इस्लाम धर्म के मानने वाले कौमे मुसलमानो का सबसे बड़ा खुशियों का पर्व है ईद l इस पर्व को ईद उल फितर  या फ़ित्र भी कहते है l ईद उल फितर के बारे में  कुरान, हदीश व इस्लामिक किताबों के अनुसार बताया गया है कि यह पर्व  रमजान के पुरे एक महीने शिद्दत के साथ रोजे रखने व  इबादत करने के एवंज़ में अल्लाह ने इसे खुशियाँ मनाने के लिए तोहफ़े में दिया है l ईद की ख़ुशी हजारों -लाखो खुशियों के बराबर है, जो अमन, प्यार, मोहब्बत व इंसानियत का पैगाम देता है l ईद उल फितर  यानि ईद इस्लामिक कैलेंडर के  दसवे महीने में शव्वाल के पहले दिन मनाया जाता है l ईद, रमजान के एक महीने रोजे रखने, शिद्दत से इबादत करने के ठीक बाद ईद मनाया जाता है l ईद पर्व के माध्यम से मुस्लमान कौम को खुशियाँ मनाने,सभी लोगो के साथ प्रेम -मोहब्बत, भाईचारा कायम करने, समाज को जोड़ने व  गिला -शिकवा भूल कर सभी के साथ गले मिलकर खुशियाँ बाटने का पर्व है l ईद का पर्व सदियों से चाँद देख कर पुरे एक महीना रोजा रखना व  बाद उसके चाँद देख कर ईद का जश्न मनाया जाता है l ईद के जरिये पूरी दुनिया में मुस्लमान ख़ुशी का इजहार करते हुए मोहब्बत व इंसानियत का पैगाम देता है l मोहब्बत की मिठास इस पर्व की खासियत है l ईद पर्व की शुरुआत चाँद दिखने के बाद  रमजान  की समाप्ति होती है, और अगले दिन सुबह सब से पहले मुस्लिम समाज के लोग नहा -धोकर नये -नये कपड़े पहन , अतर व खुशबू लगाकर  कुछ मीठा सेवईया या खजूर खाकर  सीधे ईदगाह या मस्जिदों में ईद की नमाज पढ़ने निकलते है l नमाज के बाद सभी मुस्लमान कौम व देश की सलामती की दुआ मांगते है, उसके बाद कोई छोटा हो या बड़ा सभी एक दूसरे से गले मिलकर ईद की मुबारकबाद देते है l ईद गाह व मस्जिदों से ईद की नमाज अता करने के बाद लोग एक दूसरे से रास्ते में मिलते -जुलते मुबारकबाद देते हुए अपने -अपने घरों को आते है l सबसे अहम् इस पर्व का अरकान ईद की नमाज से पूर्व  पूरा करना जरूरी होता है, और वह अरकान है सद कऐ फितरा, जो हर परिवार के सदस्यो का निकलना जरूरी है, और इस रकम को किसी गरीब -मजलूम को दिया जाता है, ताकि वह भी  ईद की खुशियाँ अपने जरूरियात के हिसाब से मना सके l फित्रा के अरकान को पूरा करने के बाद ही ईद की नमाज अता की जाती है l साथ ही हर मुस्लमान  अपने कमाई  व आमदनी के हिसाब से गरीबो को जकात व सदका के रूप में दान करता है l

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कुरान व हदीश के मुताबिक पैगम्बरे इस्लाम ने फ़रमाया है कि जब अहले ईमान वाले रमजान के मुकद्दस महीने के एहतरामो व इबादत से फ़ारिग हो जाते है,तथा रोजा, नमाज व इबादतों  के पूरा अरकान पूरा कर लेते है, तो अल्लाह अपने बन्दों को बक्शिश व इनाम से नवाज़ता है, उसे ही ईद कहते है l इसी बक्शिश व इनाम के दिन को हम ईद के रूप में खुशियाँ मनाते है l ईद के दिन हर मुस्लमान अपने  गांव, मुहल्ले व पड़ोसियों से गले मिलकर मुबारकबाद देते है, एक दूसरे घर जाकर सेवईया व मीठे पकवान खाते है l हर व्यक्ति अपने दोस्त, अहबाब को अपने घर बुलाते है और उनका मुँह मीठा कराते है तथा ईद की खुशियाँ एक दूसरे को बाँटते है l इस पर्व पर सभी धर्म जाति व समुदाय के लोग शरीक होते है और एक दूसरे को मुबारकबाद के साथ खुशियों का इजहार करते है l

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