Reported By: Surendra nath Dwivedi
Published on: Nov 8, 2020 | 8:54 AM
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कुशीनगर ।पूरे सूबे भर में संचालित 108/102/ALS एम्बुलेन्स आज आमलोगों की जीवनदायिनी बन कोरोना मरीजों के साथ-साथ अन्य गम्भीर रोगियों को भी निःशुल्क सेवा दे रही है। एम्बुलेन्स में कार्यरत कर्मचारी आज देश पटल पर कोरोना योद्धा बन स्वयं के जान की परवाह न करते हुए देश को इस वैश्विक महामारी से मुक्त कराने में अपना सौ प्रतिशत श्रमदान कर रहे, जहां लोग कोरोना सम्भावित मरीजों व कोरोना धनात्मक मरीजों को देख भाग खड़े हो रहे वहीं ये एम्बुलेन्स कोरोना योद्धा कम आवश्यक उपकरणों में मरीजों से एक मीटर की भी कम दूरी पर रहकर उन्हें घर से अस्पताल व अस्पताल से उच्च अस्पताल एवं कोरेण्टाईन केन्द्र छोड़ने का काम बड़ी ही संजीदगी से कर रहे।लेकिन वह अपनी ब्यथा , दुर्दशा पर खुद को आंसू बहाते हुये भी अपनी कार्य बेखूबी निभा रहे है।
एम्बुलेन्स कोरोना योद्धाओं को न ही सेवा प्रदाता कम्पनी (GVK EMRI) व न ही सरकार द्वारा कभी कोई अतिरिक्त सम्मान सहायता राशि आदि दिया जाता है, फिर भी इनके हौसले सातवें आसमान पर हिचकोले मारते हैं। इन कोरोना योद्धाओं का शोषण सेवा प्रदाता कम्पनी द्वारा शारीरिक, मानसिक व आर्थिक रूप से अत्यंत ही अमानवीय ढंग से किया जा रहा है, जिसमें इन कर्मचारियों से 12-12 घण्टे ड्यूटी लिया जाता है और सेलरी के नाम पर मात्र 8 घण्टे का लगभग 11,000 रु. ही दिए जाते हैं वो भी कटौती पूर्ण। कोरोना योद्धाओं द्वारा अपनी सेलरी व ग्रेज्युटी की मांग को लेकर समय-समय पर आंदोलन होता रहता है किन्तु तब भी इन आंदोलनों का प्रभाव न ही सेवा प्रदाता कम्पनी पर और न ही सत्ता में बैठे जनतन्त्रात्मक सरकार पर ही पड़ता है, और तो और इन कोरोना योद्धाओं को कभी भी समय से सेलरी भी नहीं मिलती। भारत में धार्मिक पर्वों का बड़ा ही महत्त्व होता है, जहां त्योहारों जैसे दीपावली आदि पर देश में अन्य कम्पनियां अपने कर्मचारियों को बोनस-भत्ता आदि देती हैं वहीं उत्तर-प्रदेश में एम्बुलेन्स सेवा प्रदाता कम्पनी (GVK EMRI) महान कोरोना योद्धाओं को समय से पूरी सेलरी भी नहीं देती….
ये वर्तमान कोरोना योद्धा वर्षों से सेवा प्रदाता कम्पनी GVK EMRI द्वारा अत्यंत अत्याचार सहने के उपरांत अपनी सेलरी आदि मांगों को लेकर 23/09/2019 को प्रदेश व्यापी चक्का जाम किये तब श्रम विभाग लखनऊ द्वारा 25/09/2019 को सेवा प्रदाता कम्पनी (GVK EMRI) व जीवनदायिनी एम्बुलेन्स स्वस्थ सङ्गठन (108/102/ALS) के कर्मचारियों के मध्य तमाम मांगों को लेकर समझौता कराया गया किन्तु उस समझौते का कोई भी असर सेवा प्रदाता कम्पनी पर नहीं पड़ा फलतः आज भी उत्तर-प्रदेश के एम्बुलेन्स कर्मचारी दर-दर की ठोकरें खाने को मजबूर हैं।
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