पालघर।वैश्विक महामारी कोरानाकाल के लगभग एक वर्ष में दानव बना कोरोना के गाल में आधा दर्जन से उपर पदाधिकारियों को असमय समा जाने से पुरा श्री सार्वजनिक रामलीला मंडल पालघर संतप्त और आज बेहद शोकाकुल अकेला महसूस कर रहा है। बैकुंठ वाशी सभी श्रेष्ठ जनों की भुली बिसरी यादों को सुनाते व्यथित मन से आँख डबडबाते रामलीला मंडल के संयोजक पं.राजू शर्मा आज काफी गमजदा है।
आज से तकरीबन इक्कीस वर्ष पूर्व श्री सार्वजनिक रामलीला म़ंडल पालघर की स्थापना स्थानिकों की ओर से करते हुए सांस्कृतिक कार्यक्रमों को आयोजन हर वर्ष सुचारू रुप से किया जाता रहा है।जिसमें प्रभु श्रीराम के विभिन्न लीलाओं का नाटकीय मंचन सफल योग्य कलाकारों द्वारा करते लगभग हफ्तों बड़ा चहल पहल पालघर में रहता है।जिसमें समाज के बुद्धिजीवी, गणमान्यजन और लब्धप्रतिष्ठित गण कार्यक्रम का आंनद लेते हुए भावविभोर भी होते रहे है।
श्री सार्वजनिक रामलीला मंडल पालघर ने बीते वर्ष से काफी कुछ खोया है जिस अपूरणीय क्षति की कल्पना मात्र तक संदेह नही था कहते पं.राजू शर्मा दूरभाष पर बताया कि रामलीला मंडल कोरोना जैसे दानव के कारण खंडहर बनता जा रहा है। जिससें हमारे बीच की अद्वितीय श्रेष्ठ पुरुषजन हमें छोड़कर नारायण धाम की यात्रा का प्रस्थान कर चुके है।
जानकारी के लिए बतादें कि रामलीला मंडल के वरिष्ठ चंद्रकांत दुबे,सरोज चंद्रकांत दुबे, ओमजी पाण्डेय, पंकज तिवारी, अरविंद नारखड़े,सुरेश चौहान, शमशेर बहादुर सिंह जैसे नामचीन का ऐसे चले जाना बड़ा ही दुःखद मार्मिकता भरा अघात पहुचाने वाला खबर है।