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देवरिया के उपचुनाव में जीतेगा ‘त्रिपाठी’ ही, चारों बड़ी पार्टियों ने ब्राह्मण कैंडिडेट्स पर लगाया दांव!

न्यूज अड्डा डेस्क

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Published on: Oct 16, 2020 | 7:09 PM
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देवरिया के उपचुनाव में जीतेगा ‘त्रिपाठी’ ही, चारों बड़ी पार्टियों ने ब्राह्मण कैंडिडेट्स पर लगाया दांव!
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लखनऊ | वोट किसी को भी…जितेगा इस बार ‘त्रिपाठी’ ही… यूपी के देवरिया सदर उपचुनाव में इस बार स्थिति कुछ ऐसी ही है। इस बार यहां त्रिपाठी बनाम त्रिपाठी की जंग देखने को मिलेगी। देवरिया के इतिहास में ऐसा पहली बार होगा, जब उपचुनाव में प्रमुख राजनीतिक दलों ने ब्राह्मण प्रत्याशियों को टिकट दिया है। इसमें भी खास बात यह है कि सभी प्रत्याशियों का उपनाम ‘त्रिपाठी’ ही है।

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यूपी में पिछले दिनों ब्राह्मण के खिलाफ हिंसा और अनदेखी का मुद्दा हावी रहा। विपक्ष ने ब्राह्मण वोटबैंक को लेकर योगी सरकार पर कई बार निशाना साधा। शायद यही वजह है कि इस बार उपचुनाव में खासकर देवरिया में कांग्रेस से लेकर समाजवादी पार्टी, बीएसपी और यहां तक कि बीजेपी ने भी ब्राह्मण उम्मीदवार उतारा है।

जानिए किसने किसे बनाया उम्मीदवार

अब जान लीजिए देवरिया से किसने किसको टिकट दिया है। समाजवादी पार्टी ने जहां पूर्व कैबिनेट मंत्री ब्रह्मशंकर त्रिपाठी को मैदान में उतारा है तो वहीं बीजेपी ने डॉ. सत्यप्रकाश मणि त्रिपाठी को इस सीट से प्रत्याशी बनाया है। कांग्रेस ने मुकुंद भाष्कर मणि त्रिपाठी को टिकट दिया है जिनकी उम्मीदवारी को लेकर पिछले दिनों कांग्रेस में खूब हंगामा हुआ और एक महिला नेता के साथ बदसलूकी का विडियो सामने आया।

बीएसपी ने इस सीट से सरकारी नौकर छोड़कर राजनीति में आए अभयनाथ त्रिपाठी को उम्मीदवार बनाया है। अभयनाथ 2017 में भी बीएसपी के टिकट पर विधानसभा चुनाव लड़ चुके हैं और तीसरे पायदान पर रहे थे।

दो बार ‘ब्राह्मण’ विधायक चुने जा चुके हैं

देवरिया सदर सीट पर 1969 में ब्राह्मण बिरादरी के दीप नारायण मणि‍ पहली बार विधायक चुने गए थे। चौधरी चरण सिंह की पार्टी भारतीय किसान दल (बीकेडी) के टिकट से उन्होंने जीत दर्ज की थी। इसके बाद 1989 में जनता दल के टिकट पर रामछबीला मिश्र ने यहां से जीत दर्ज की थी।

पिछड़े वर्ग का रहा वर्चस्व

साल 1967 में अस्त‍ित्व में आई देवरिया सदर सीट पर अब तक हुए 14 बार चुनाव हुए हैं। यहां से अधिकतर पिछड़े वर्ग को ही प्रतिनिधि‍त्व करने का मौका मिला है। ब्राह्मण, भूमिहार और मुस्लि‍म समुदाय से दो-दो बार विधायक चुने गए। वहीं एक बार ठाकुर और एक बार कायस्थ समुदाय से भी जनप्रतिनिधि चुने जा चुके हैं।

कुल 25 फीसदी ब्राह्मण उम्मीदवार

3 नवंबर को यूपी की सात सीटों पर होने वाले उपचुनाव के कुल 28 उम्मीदवारों में से 25 फीसदी ब्राह्मण हैं, जिससे इस बार वोट बैंक को लेकर दलों में कड़ी प्रतिस्पर्धा की ओर इशारा साफ है। कांग्रेस ने अपने पारंपरिक वोट बैंक के मद्देनजर बांगरमऊ (उन्नाव) से आरती बाजपेई, मल्हानी (जौनपुर) से राकेश मिश्रा और देवरिया से मुकुंद भास्कर मणि त्रिपाठी को टिकट दिया है।

समाजवादी पार्टी ने देवरिया में पूर्व मंत्री ब्रह्मशंकर त्रिपाठी को अपना उम्मीदवार बनाया। बीएसपी ने इसी सीट से अभयनाथ त्रिपाठी को टिकट दिया है। इसके अलावा बीएसपी ने मल्हानी से भी ब्राह्मण उम्मीदवार सुनील दुबे को मैदान पर उतारा है।

सीएम योगी के भरोसे बीजेपी

उपचुनाव में बीजेपी फिलहाल मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के करिश्मे के भरोसे ही है। दरअसल बीजेपी ने कई क्षेत्रों में स्थानीय कार्यकर्ताओं और काडर की इच्छा के खिलाफ उम्मीदवार उतारकर खतरा मोल लिया है। उदाहरण के लिए, कानपुर की घाटमपुर (आरक्षित) सीट में दिवगंत मंत्री कमला रानी की बेटी को उम्मीदवार बनाने की प्रबल मांग थी लेकिन बीजेपी ने उनके बजाय उपेंद्र पासवान को टिकट दिया है।

दूसरी ओर, पार्टी ने अमरोहा की नौगंवा सआदत सीट से संगीता चौहान को टिकट दिया है। संगीता चौहान दिवगंत मंत्री चेतन चौहान की पत्नी हैं। संगीता राजनीतिक रूप से सक्रिय नहीं है लेकिन पार्टी ने उन्हें टिकट दिया है। इसी तरह 2018 में कैराना लोकसभा सीट पर उपचुनाव में बीजेपी ने हुकुम सिंह की बेटी मृगांका सिंह को टिकट दिया था। मृगांका गैर-राजनीतिक चेहरा थीं और इस चुनाव में बीजेपी को मात मिली थी।

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