Reported By: सुनील नीलम
Published on: Mar 30, 2025 | 6:50 PM
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कुशीनगर।जनपद के कुबेरस्थान में स्थित मां खनवार की शक्ति पीठ पर जो भी आता है।मां उनकी सभी मुरादें पूरी करती है। खनवार माता की महिमा भक्तों को काफी अहलादित करने वाली है। देवी के प्रसिद्ध शक्ति पीठों में एक खन्हवार स्थान पर वैसे तो पूरे वर्ष भर भक्तों का आवागमन रहता है।किंतु विशेष तौर पर बासंतिक एवं शारदीय नवरात्र में यहां की रौनकता काफी बढ़ जाती है। बड़ी संख्या में लोग माता के इस दरबार में हाजिरी लगाकर अपने जीवन को धन्य करते हैं वहीं पूरी उदारता के साथ उनकी हर अभिलाषा को पूर्ण कर देवी मां उन्हें कष्ट मुक्त बना देती है।
शिव नगरी कुबेर नाथ धाम से 5 किमी पूरब-उत्तर तथा गुप्त कालीन सूर्य मंदिर तुर्कपट्टी से छह किमी उत्तर दिशा में भगवती खन्हवार का सिद्ध पीठ अवस्थित है। आसाम प्रदेश के गुवाहाटी शहर के पहाड़ी पर स्थित स्थान से कमाख्या देवी के वहां से खन्हवार स्थान तक आने का प्रसंग काफी रोचक तथा चमत्कृत कर देने वाला है।
बताया जाता है कि पूर्व काल में यह संपूर्ण क्षेत्र घनघोर जंगलों से अच्छादित था।जहां हिंसक पशु स्वच्छन्दता से विचरण किया करते थे।उसी समय जंगल के मध्य में माता काली के परम उपासक सिद्ध संत रहसू गुरु अपना कुटिया बनाकर निवास किया करते थे। देवी का साक्षात दर्शन प्राप्त रहसू गुरु उनकी अनुकंपा से खरई (एक विशेष प्रकार का घास) का शेरों के झुंड से दंवरी कराकर अति स्वादिष्ट चावल प्राप्त करते थे।रहसू गुरु के चमत्कारित शक्तियों से प्रभावित उस समय के मदनपुर राज्य के राजा मदन पाल सिंह जो क्रूर तथा सनकी प्रवृत्ति के व्यक्ति थे, देवी दर्शन कराने के लिए अड़ गए।अपने भक्त के आह्वान पर कामाख्या से चलकर दुर्गा कोलकाता, पटना,डमूरे,कटया आदि स्थानों पर रुकती हुई खन्हवार स्थान पहुंच कर कुछ समय के लिए वहां विश्राम किया और अन्तत : थावे में रहसू भगत का मस्तिष्क फाड़कर देवी ने कंगन युक्त अपने हथेली का दर्शन कराया था किंतु इस घटना के बाद भक्त तो देवी में समाहित हो गए और मदनपाल सिंह का साम्राज्य तथा कुटुंब परिवार नष्ट हो गया। खन्हवार में विश्राम करने के कारण मंदिर के गर्भ गृह में भगवती की लेटी हुई मुद्रा में विशाल पिंड स्थापित है जिसका श्रद्धा पूर्वक पूजा-अर्चन चलता रहता है।
इसीलिए आज भी आम बोलचाल की भाषा में किसी को चेतावनी देने के लिए लोग कहते है “” मान जा अबहिन देवी खनवारे बाड़ी…””
Topics: कुबेरस्थान