Reported By: Ved Prakash Mishra
Published on: Feb 29, 2024 | 6:39 PM
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हाटा/कुशीनगर। डीडीयू गोरखपुर विश्वविद्यालय गोरखपुर की संस्कृत विभाग की सहायक आचार्य डा लक्ष्मी मिश्रा ने कहा कि पुरुषार्थ की प्राप्ति ज्ञान के द्वारा ही संभव है।
श्रीनाथ संस्कृत महाविद्यालय में श्री लालबहादुर शास्त्री राष्ट्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय एवं संस्कृत संस्कृति संस्थान भारत व महाविद्यालय के संयुक्त तत्वावधान में भारतीय ज्ञान परम्परा विचार मंथन कार्यशाला के प्रथम दिन मुख्य अतिथि के रूप में अपना विचार प्रकट कर रही थीं। उन्होंने ज्ञान की परम्परा की महत्ता पर प्रकाश डालते हुए कहा कि मानव परमात्मा के साथ साक्षात्कार तभी कर सकता है जब ज्ञान परम्परा के अनुसार विवेकशील बने। ज्ञान के द्वारा ही जीवन में पुरुषार्थ संभव है और पुरुषार्थ के द्वारा ही ईश्वर से साक्षात्कार हो सकता है और मोक्ष की प्राप्ति हो सकती है। ज्ञान की प्राप्ति में स्वास्थ्य एवं सद्वृत आवश्यक है यह तभी संभव है जब अपने को विवेकशील बनाएं। सारस्वत अतिथि डीडीयू गोरखपुर विश्वविद्यालय के सहायक प्रोफेसर डा कुलदीप शुक्ल ने कहा कि विकसित भारत के लिए भारतीय ज्ञान परम्परा को आगे बढ़ाने की जरूरत है। हमने रूढ़ियों के कारण अपने ज्ञान परम्परा को कुछ कालखण्डो में अलग कर दिया जिसके कारण भटक गये। हमें भ्रांतियों को दूर करना होगा। विशिष्ट वक्ता डी डी यू गोरखपुर विश्वविद्यालय गोरखपुर की सहायक प्रोफेसर डॉ स्मिता द्विवेदी ने हमें अपने शास्त्रों का संरक्षण करना चाहिए जिससे हम अपने संस्कृति का संरक्षण कर सकें।आज यह अनुकूल विषय है भारतीय ज्ञान परम्परा में नाथपंथ की महत्वपूर्ण भूमिका रही है। वेदों से भी पूर्व है हमारा भारतीय ज्ञान। उन्होंने हठ योग पर विशेष चर्चा की और कहा कि योग से शिव त्वकी प्राप्ति होती है। इससे पहले छात्रों ने पौराणिक मंगलाचरण किया। विषय स्थापना संयोजक प्रो मार्कण्डेय नाथ तिवारी विभागाध्यक्ष सांख्य योग श्री लालबहादुर शास्त्री राष्ट्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय, ने किया और विषय प्रवर्तन महाविद्यालय के सहायक प्रोफेसर मोहन पाण्डेय ने किया।इस दौरान प्रो जयप्रकाश नारायण द्विवेदी ने दूरभाष पर अपने विचार व्यक्त किया। अध्यक्षता महाविद्यालय के मंत्री गंगेश्वर पाण्डेय ने की।
इस दौरान प्राचार्य डॉ राजेश कुमार चतुर्वेदी ने स्वागत किया। संजय पाण्डेय, रामगोविन्द मणि, जयगोविंद मणि, दिनेश भारद्वाज,
राधेश्याम पाण्डेय, आदि शिक्षक उपस्थित रहे
Topics: हाटा