Reported By: Surendra nath Dwivedi
Published on: Sep 27, 2022 | 12:07 PM
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न्यूज अड्डा कार्यालय पर अनुष्ठान का द्वितीय दिवस- नवरात्र
सलेमगढ़/कुशीनगर । मंगलवार को न्यूज अड्डा ब्यूरो कार्यालय में मां के दूसरे स्वरूप ब्रह्मचारिणी रूप की पूजा हुई।नवरात्रि के दूसरे दिन पूजित ब्रह्मचारिणी आंतरिक जागरण का प्रतिनिधित्व करती हैं। मां सृष्टि में ऊर्जा के प्रवाह, कार्यकुशलता और आंतरिक शक्ति में विस्तार की जननी हैं। ब्रह्मचारिणी इस लोक के समस्त चर और अचर जगत की विद्याओं की ज्ञाता हैं। इनका स्वरूप श्वेत वस्त्र में लिपटी हुई कन्या के रूप में है, जिनके एक हाथ में अष्टदल की माला और दूसरे में कमंडल है। यह अक्षयमाला और कमंडल धारिणी ब्रह्मचारिणी नामक दुर्गा शास्त्रों के ज्ञान और निगमागम तंत्र-मंत्र आदि से संयुक्त हैं। भक्तों को यह अपनी सर्वज्ञ संपन्न विद्या देकर विजयी बनाती हैं। ब्रह्मचारिणी का स्वरूप बहुत ही सादा और भव्य है। अन्य देवियों की तुलना में वह अतिसौम्य, क्रोध रहित और तुरंत वरदान देने वाली देवी हैं।
“या देवी सर्वभूतेषु मां ब्रह्मचारिणी रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः।।
न्यूज अड्डा ब्यूरो कार्यालय में पंडित शत्रुध्न पांडेय द्वारा यजमान ब्यूरो प्रमुख साप्तानिक सुरेन्द्र नाथ श्री मति सरोज दिवेदी द्वारा मां दुर्गा के दूसरे स्वरूप ब्रह्मचारिणी की पूजा शास्त्रीय विधि से की गई । सुबह शुभ मुहूर्त में मां दुर्गा की उपासना,और मां की पूजा में पीले या सफेद रंग के वस्त्र का उपयोग हुआ। माता का सबसे पहले पंचामृत से स्नान , इसके बाद रोली, अक्षत, चंदन आदि अर्पित किया गया। मां ब्रह्मचारिणी की पूजा में गुड़हल या कमल के फूल का ही प्रयोग के साथ माता को दूध से बनी चीजों का ही भोग लगाई गई। इसके साथ ही मन में माता के मंत्र या जयकारे लगाते रहें। इसके बाद पान-सुपारी भेंट करने के बाद प्रदक्षिणा हुआ। फिर कलश देवता और नवग्रह की पूजा , घी और कपूर से बने दीपक से माता की आरती और दुर्गा सप्तशती, दुर्गा चालीसा का पाठ करने के बाद सच्चे मन से माता के जयकारे लगाए गए।
आचार्य पंडित शत्रुध्न पांडेय ने लोकप्रिय वेब साईट न्यूज अड्डा के माध्यम से मां के भक्तो को यह संदेश दिया की माता की आराधना करने से जीवन में संयम, बल, सात्विक, आत्मविश्वास की वृद्धि होती है। माता की शक्ति के प्रभाव से तन-मन के सभी दोष दूर होते हैं और जीवन में उत्साह व उमंग के साथ-साथ धैर्य व साहस का समावेश होता है। मां दुर्गा का यह दूसरा स्वरूप दिव्य और अलौकिक प्रकाश लेकर आता है।।
ॐ सर्वमंगल मांगल्ये शिवे सर्वार्थ साधिके।
शरण्ये त्र्यंबके गौरी नारायणि नमोऽस्तुते।।