कुशीनगर। दुदही के मठिया भोकरिया बाजार में नारायणी सेवा समिति के तत्वावधान में आयोजित पांच दिवसीय रामकथा के पहले दिन अयोध्या से पधारी कथावाचिका धर्मरक्षिता शास्त्री ने राम नाम के महत्व को रेखांकित करते हुए कहा कि राम त्याग, बलिदान व सामानता के लिए ही उद्धरित हुए।
गुरुवार को कथा प्रवचन को आगे बढाते हुए उन्होंने कहा कि ऋषि विश्वामित्र की यज्ञ की रक्षा के लिए जाने वाले राम की उम्र 14 वर्ष थी। रास्ते में उन्होंने अहिल्या का उद्धार किया, स्वयंवर में सीता से विवाह कर नारियों के प्रति समान समर्पित किया। कथावाचिका ने कहा कि राम का जीवन कठिनाईयों में बीता लेकिन कभी भी उन्होंने धीरज का त्याग नहीं किया। इसलिए राम नाम साध्य है और जीवन के तमाम कठिनाईयों से पार पाने का एकमात्र रास्ता है। इसके पूर्व मुख्य यजमान सेवानिवृत्त पूर्व प्रधानाचार्य तुलानरायण राय अपने धर्मपत्नी के साथ व्यासपीठ का पूजन कर कथा का शुभारंभ किया। मुख्य अतिथि सेवानिवृत्त शिक्षक व शिक्षक संघ के पूर्व मंत्री अभिमन्यु प्रसाद तथा विशिष्ट अतिथि रमाकांत पांडेय रहे।
रामकथा के संयोजक शिक्षक अरूणेन्द्र राय, आरएसएस खंड प्रचार प्रमुख प्रवीण कुमार राय ने आभार प्रकट किया। इस दौरान शिक्षक अजय राय, राजनारायन मिश्र, डा. मुरारीशरण जायसवाल, प्रेमबिहारी राय, केदारनाथ सिंह, योगेन्द्र राय, अनिल गुप्ता, अमरनाथ मिश्र, राजेश कुशवाहा, डा. अमित बौद्ध आदि उपस्थित रहे।
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