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छोटी-छोटी खुशियां ही जिंदगी को खुशनुमा बना देती हैं

न्यूज अड्डा डेस्क

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Published on: Oct 3, 2022 | 10:46 AM
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छोटी-छोटी खुशियां ही जिंदगी को खुशनुमा बना देती हैं
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जीवन में छोटी-छोटी चीजों का भी आनंद लें, क्योंकि एक दिन आप पीछे मुड़कर देखेंगे तो पाएंगे कि वे तो बड़ी चीजें थीं। छोटी चीजें जरूरी हैं क्योंकि वे हमारे जीवन के विशाल बहुमत को शामिल करती हैं। महत्वपूर्ण घटनाएं छिटपुट रूप से ही घटित होती हैं। जब हम छोटी-छोटी चीजों की उपेक्षा करते हैं, तो अपने जीवन का काफी आनंद लेने से चूक जाते हैं। छोटी-छोटी बातों की सराहना किए बिना केवल बड़ी चीजों के बारे में सोचना हानिकारक भी हो सकता है। भव्य उपलब्धियों से जुड़ा एक बाहरी और आंतरिक दबाव है, जिसमें दबने से मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है।
हमारे पास पहले से मौजूद साधारण चीजों का आनंद लेने के बजाय हमेशा अधिक चाहना एक बहुत ही असंतोषजनक जीवन की ओर ले जा सकता है। लक्ष्य और सपने निश्चित रूप से फायदेमंद होते हैं, पर अधिक की अतृप्त इच्छा आपको असंतुष्ट और आक्रोशित कर सकती है। निरंतर आगे बढ़ने का प्रयास आपको वर्तमान के आनंद से दूर कर देता है। आपके पास जो कुछ भी है, इस प्रकार की मानसिकता उससे ध्यान हटा देती है और सारा ध्यान कमी पर लगा देती है। जबकि छोटी-छोटी चीजों की सराहना करने की क्षमता आपके जीवन में बड़ी तरक्की ला सकती है।
जिस तरह हर दिन की अपनी खुशियां होती हैं, उसी तरह हर दिन का अपना संघर्ष भी होता है। जब हमारे जीवन में छोटी-छोटी चीजों के लिए कृतज्ञता की कमी होती है, तो संघर्ष हमें और अधिक प्रभावित करते हैं। एक सकारात्मक और आभारी मानसिकता भीषण निराशा में भी हमें लचीला बनाए रखती है। जबकि अहंकार हमें सकारात्मकता से दूर कर देता है। यह हमें विश्वास दिलाता है कि हम दूसरों की तुलना में अधिक हैं और यह सिर्फ एक भ्रम है। इससे बचने के लिए अपने विचारों को हमेशा सकारात्मक रखें और खुद को धोखा न दें। हमें याद रखना चाहिए कि हम वही हैं जो हम करते हैं, और यह कि कोई भी बदलाव आसान नहीं है।
अक्सर लोग कहते हैं- अरे खुश रहो यार! खुश रहने में कुछ पैसा नहीं लगता! क्या यह पूरी तरह सच है? जी हां, यह सच है। दुनिया की कोई दौलत रूहानी खुशी या वास्तविक आनंद नहीं खरीद सकती। आनंद हमारे अंदर है, और हम इसे बाहर खोजते रहते हैं। आंतरिक ठहराव, संतुष्टि, सुकून और प्राणी मात्र के प्रति सद्भाव ही आपको वास्तविक खुशी प्रदान करता है। एक बार आप भीतर से संवेदनशील हो गए तो जिंदगी खुशियों से भरपूर दिखाई देगी। भंवरे का गुंजन, पक्षियों का कलरव, बच्चों की किलकारी, उनके दमकते हुए चेहरे, बारिश की टिप-टिप, फिर धरती से उठती सोंधी खुशबू, ठंडी हवा और न जाने क्या-क्या! ये सब आपको आह्लादित कर देंगे। उमर खय्याम कहते हैं, ‘इस लम्हे में खुश रहिए। यह लम्हा ही जिंदगी है!’
एक बात का जरूर ख्याल रखें- कभी भी दूसरों के ‘खर्च’ पर खुश रहने का प्रयास न करें। अर्थात, अपने से कमजोर को बुली करके, दूसरों की नाकामयाबी या परेशानी का लुत्फ उठाकर, दूसरों से मेहनत करा कर खुशी महसूस करना। ये कुछ इस प्रकार के सुख हैं जो दूसरों के ‘खर्च’ पर भोगे जाते हैं। छोटी-छोटी खुशियों में न तो किसी और का कुछ खर्च होता है, ना अपना कुछ जाया जाता है। प्रसिद्ध लेखिका मार्था ट्रॉली कर्टिन ने कहा था, ‘जिस वक्त को बर्बाद करने में मजा आए, वह वक्त बर्बाद नहीं होता।’

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