Reported By: Chandra Prakash Tripathi
Published on: May 25, 2021 | 12:34 PM
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सुकरौली/कुशीनगर।कोरोना महामारी की दूसरी लहर अब धीरे धीरे कम हो रही हैं।साथ ही अब देश के हर राज्यो में संक्रमित मरीज़ों की संख्या में भी कमी होने लगी है।लेकिन लगभग पंद्रह माह से बंद सभी निजी स्कूल और कोचिग संस्थान बंद होने से प्राइवेट शिक्षकों व संचालक बेहाल होने के साथ ही बेरोजगार हो गए हैं।।इन दिनों शिक्षकों और प्राइवेट विद्यालयों से जुड़े कर्मचारियो के समक्ष आर्थिक संकट उत्पन्न हो गया है।निजी स्कूल एवं कोचिग संस्थान के हजारों शिक्षकों का परिवार संकट के दौर से गुजर रहा है।सनद रहे कि पिछले साल कोरोना संक्रमण को लेकर लागू लॉकडाउन के कारण सभी निजी स्कूल एवं कोचिग संस्थान बंद हो गए थे।स्कूलों के बंद रहने से स्कूल की आमदनी पूरी तरह बंद हो गई।कोरोना वायरस को लेकर घर पर टयूशन पढ़ाने वाले शिक्षकों को भी अभिभावकों ने लॉकडाउन में बच्चों को पढ़ाने से इन्कार कर दिया था।जिस कारण कोचिंग पढ़ाने से होने वाली आमदनी भी बंद हो गई थी।एक साल बाद मार्च के शुरुआती दौर में प्राइवेट स्कूल खुलने के बाद शिक्षकों मे आर्थिक तंगी को दूर करने की आशा जगी थी। लेकिन कोविड-19 की दूसरी लहर की भयावह स्थिति को लेकर पुन: सभी विद्यालयों को बंद करा दिया गया है।अब शिक्षकों को घर बैठने के सिवाय कोई दूसरा विकल्प भी नहीं है।ऐसे में उनके परिवार के समक्ष रोजी-रोटी की समस्या उत्पन्न हो गई है।कई स्कूल संचालकों के स्कूल बंद होने की स्थिति में आय का स्त्रोत बंद हो गया। जिससे इनके शिक्षकों के समक्ष भी बेरोजगारी उत्पन्न हो गई। स्कूल से ही होने वाली आमदनी से ही शिक्षकों का वेतन, वाहन खर्च तथा अन्य मदों का खर्चा चलता था। लेकिन विद्यालय बंद होने से निजी विद्यालयों के संचालक तथा शिक्षकों के सामने आर्थिक तंगी आ गई है।इसी क्रम में प्राइवेट स्कूलों के एसोसिएशन ने कई बार प्राइवेट स्कूलों के कर्मचारियों को कुछ आर्थिक सहायता की मांग राज्य सरकार से की थी किन्तु सब प्रयास असफल रहे।
Topics: सरकारी योजना