Reported By: Ved Prakash Mishra
Published on: Feb 16, 2021 | 6:23 PM
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कुशीनगर | जिलाधिकारी एस राजलिंगम की अध्यक्षता में मंगलवार को पड़रौना सुभाष चौक स्थित शहीद स्मारक पर देश की आजादी के लिए अपने प्राणों की आहूति देने वाले अमर शहीदों पुष्पांजलि अर्पित कर ग्यारहवीं शती में उत्तर प्रदेश के बहराइच में जन्म लेने वाले महाराजा सुहेलदेव के 1012वीं ज्यन्ती कार्यक्रम का शुभारम्भ किया गया। इस अवसर पर नगरपालिका अध्यक्ष विनय जायसवाल , उपजिलाधिकारी पड़रौना, ईओ नगपालिका सहित अन्य जन प्रतिनिधियों एवं अधिकारियों द्वारा अमर शहीद शिला पर पुष्प अर्पित कर श्रद्वांललि दी गई।
जिलाधिकारी एस राजलिंगम ने इस अवसर पर कहा कि देश की आजादी में अपने प्राणों की आहूति देने वाले वीर शहीदों द्वारा दी गई कुर्बानियों के नतीजे में आज हम आजाद भारत में स्वतंत्रता के साथ और सम्मानपूर्वक जीवन यापन कर रहे हैं। देश की स्वतंत्रता के लिए अपना बलिदान देने वाले और उसकी संप्रभुता के लिए युद्व करने वाले बहुत से ऐसे वीर पराक्रमी योद्वाआंे की गाथाएं इतिहास के पन्नों में छुपी हुई हैं, जिनको तलाश करना और उसे जन सामान्य के सामने लाना बहुत आवश्यक है ताकि देश के युवा वर्ग उनके पराक्रम और शौर्य से प्रेरणा प्राप्त कर सकें। उन्होंने बताया कि 17वीं सदी में मुगल राजा जहांगीर के दौर में अब्दुर रहमान चिश्ती नाम के एक लेखक हुए। 1620 के दशक में चिश्ती ने फारसी भाषा में एक दस्तावेज लिखा ‘मिरात-इ-मसूदी’. हिंदी में इसका मतलब ‘मसूद का आइना’ होता है. इस दस्तावेज को गाजी सैयद सालार मसूद की बायोग्राफी बताया जाता है. मिरात-इ-मसूदी के मुताबिक मसूद महमूद गजनवी का भांजा था, जो 16 की उम्र में अपने पिता गाजी सैयद सालार साहू के साथ भारत पर हमला करने आया था. अपने पिता के साथ उसने इंदुस नदी पार करके मुल्तान, दिल्ली, मेरठ और सतरिख (बाराबंकी) तक जीत दर्ज की। फिर 1033 ई. में खुद सालार मसूद अपनी ताकत परखने बहराइच आया, उसका विजय रथ तब तक बढ़ता रहा, जब तक उसके रास्ते में राजा सुहेलदेव नहीं आए। महाराजा सुहेलदेव के साथ युद्ध में मसूद बुरी तरह जख्मी हो गया और फिर इन्हीं जख्मों की वजह से उसकी मौत हो गई, उसने मरने से पहले ही अपने साथियों को बहराइच की वो जगह बताई थी, जहां उसकी दफ्न होने की ख्वाहिश थी। उसके साथियों ने उससे किया वादा निभाया और उसे बहराइच में दफना दिया गया. कुछ सालों में वो कब्र मजार में और फिर दरगाह में तब्दील हो गई।
कार्यक्रम में नगरपालिका अध्यक्ष पड़रौना विनय जायसवाल ने कहा कि आजादी के इतिहास में महाराज सुहेलदेव को विशिष्ट स्थान प्राप्त है। उन्होंने कहा कि देश की स्वतंत्रता में महाराजा सुहेलदेव की प्रेरणा का बहुत महत्व रहा है। उन्होेंने जनपदवासियों/ छात्र एवं छात्राओं का आहवान किया कि इतिहास में न जाने कितन महाराज सुहेलदेव छिपे हुए हैं, उन्हंे खोजने का प्रयास करें और देश की संप्रभुता और सलामती के लिए अपने पराक्रम दिखाने और बलिदान होने वाले वीरों को जन सामान्य के सामने लाने का प्रयास करें ताकि उनके करानामों से लोग परिचित हो प्रेरित हो सकें।
Topics: पड़रौना सरकारी योजना