Reported By: न्यूज अड्डा डेस्क
Published on: Jul 4, 2020 | 3:58 AM
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कोरोना वायरस ने देश में आठ बार रूप बदलने के बाद अपना रंग बदलना बंद किया। पिछले 80 दिन से मरीजों में अब सिर्फ वायरस का एक तरह का स्ट्रेन ही पाया जा रहा है। वायरस की इसी चाल का विश्लेषण करने के बाद भारतीय वैज्ञानिकों को वैक्सीन खोजने का रास्ता मिला। इसी महीने के अंत तक मानव परीक्षण पूरा हो जाने के बाद अगले माह टीका जारी करने की दिशा में वैज्ञानिक बढ़ जाएंगे। आत्मनिर्भर भारत की सबसे बड़ी गवाह बनने जा रही इस वैक्सीन (बीबीवी-152) विज्ञान जगत में भी नया इतिहास रचेगी। यह कैसे संभव हुआ और अब आगे किस रणनीति पर काम होगा, इन्हीं पहलुओं पर परीक्षित निर्भय की रिपोर्ट…
आत्मनिर्भर भारत का गवाह बनेगी वैक्सीन, 80 दिन से एक जैसे रूप मिल रहे वायरस के15-15 दिन में दो परीक्षण होंगे
इसी महीने के आखिर तक 15-15 दिन के अंतर से दो परीक्षण होंगे।
इसी महीने के आखिर तक 15-15 दिन के अंतर से दो परीक्षण होंगे।
दिल्ली एम्स के सामुदायिक मेडिसिन विभाग के डॉ. संजय कुमार राय ने बताया कि सात जुलाई तक पंजीयन के बाद परीक्षण शुरू होगा। दोनों परीक्षण का डाटा अलग अलग तैयार किया जाएगा। आईसीएमआर के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि वैक्सीन विज्ञान में सफलता दर 6 से 7 फीसदी ही होती है।
अब 90 फीसदी मरीजों में एक जैसे स्ट्रेन
हैदराबाद स्थित सेंटर फॉर सेलुलर एंड मॉलिक्युलर बॉयोलॉजी (सीसीएमबी) के निदेशक डॉ. राकेश मिश्रा ने बताया कि 30 जनवरी से लेकर 2 मई तक देश में 8 तरह के वायरस मिले, लेकिन इसके बाद से 90 फीसदी मरीजों में ए2ए और ए3आई रूप वाला वायरस ही मिला है। बार-बार रूप नहीं बदलने से भारतीय वैज्ञानिकों को इसका तोड़ निकालने में आसानी हुई। दुनियाभर में चलने वाले वैक्सीन और दवा परीक्षणों को भी इससे फायदा होने वाला है।
तत्काल नहीं मिलेगी वैक्सीन
स्वास्थ्य मंत्रालय के एक वरिष्ठ निदेशक ने बताया कि वैक्सीन हर किसी को तत्काल नहीं मिलेगी। इसके प्रोटोकॉल बनाए जा रहे हैं। सबसे पहले स्वास्थ्य कर्मचारियों, फिर पुलिस जवान और आपदा प्रबंधन में जुटे कर्मचारियों को दी जाएगी। दुष्प्रभाव न मिलने पर इसे किस आयु वर्ग को पहले देना है और किसे नहीं, यह भी तय किया जाएगा। वहीं, वैक्सीन की उपलब्धता पर भी काम शुरू हो जाएगा।
पहले जिंदा वायरस पकड़ा, फिर शुरू अध्ययन
पुणे स्थित नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ वॉयरोलाजी की निदेशक डॉ. प्रिया अब्राह्म बताती हैं कि 30 जनवरी को चीन के वुहान से लौटी केरल निवासी छात्रा संक्रमित मिली थी। उसी जिंदा वायरस पर हैदराबाद की प्रयोगशाला में तीन महीने अध्ययन के बाद टीका तैयार हुआ।
सवाल भी हैं…
बायो एथिक्स के प्रोफेसर और शोधकर्ता अनंतभान का कहना है कि वैक्सीन अभी प्री-क्लीनिकल स्टेज में है, लेकिन आईसीएमआर के आदेश से लगता है कि सब पहले से ही तय है। 2 जुलाई को आदेश, सात जुलाई तक पंजीयन और 15 अगस्त से पहले लॉन्चिंग, महज एक महीने से कम समय में कैसे संभव है? जबकि क्लीनिकल ट्रायल्स रजिस्ट्री-इंडिया (सीटीआरआई) में एक जुलाई को इसका पंजीयन हुआ है।
Topics: अड्डा ब्रेकिंग