Reported By: Surendra nath Dwivedi
Published on: Jan 28, 2021 | 8:20 AM
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कुशीनगर | विशेष न्यायाधीश एमपी एमएलए कुशीनगर ने गो सेवा आयोग के उपाध्यक्ष और पूर्व विधायक अतुल सिंह पर दर्ज मुकदमे को समाप्त करने को आदेश दिया है। अतुल सिंह समेत 50 लोगों पर 2015 में हाटा कोतवाली में धारा 143, 242, 283 आईपीसी व 7 सीएलए एक्ट तथा एनएच एक्ट के तहत केस दर्ज कराया गया था। जिला शासकीय अधिवक्ता ने राज्यपाल के आदेश पर अभियोजन समाप्त करने का आवेदन किया था।
क्या था मामला
दिनांक 12 अप्रैल 2015 को रामकोला के पूर्व विधायक अतुल सिंह व पूर्व प्रमुख विरेन्द्र सिंह के नेतृत्व में लगभग पचास लोग टैक्सी स्टैण्ड पर आये। सुरेश प्रसाद व रामू चौहान से वसूली और मारपीट की बात को लेकर गोरखपुर कसया नेशनल हाईवे पर नारेबाजी करने लगे तथा आने जाने वाले लोगों से अभद्रता करते हुए नेशनल हाइवे को जाम कर बीच सड़क पर ही बैठ गये। जिससे आवागमन पूर्णतया अवरुद्ध हो गया तथा मौके पर अफरा तफरा का माहौल कायम हो गया। काफी प्रयास के बाद दो घण्टे बाद प्रदर्शनकारी रोड से हटे। प्रदर्शनकारियों के इस कृत्य से आमजन विशेषकर बच्चों, महिलाओं, वृद्धों व मरीजों को काफी कठिनायी का सामना करना पड़ा।
जिला शासकीय अधिवक्ता जीपी यादव ने बताया कि विवेचनोपरान्त आरोप पत्र न्यायालय में प्रेषित किया गया था। यह मुकदमा वापस लेने के लिए यूपी शासन न्याय अनुभाग ने 3 मार्च 2020 को पत्र जारी कर लोक अभियोजक को अनुमति प्रदान की। शासकीय अधिवक्ता ने इसके बाद अदालत में इसके लिए आवेदन किया। अदालत ने बुधवार को जारी आदेश में कहा है कि पत्रावली के अवलोकन से स्पष्ट है कि पुलिस के विरोध स्वरूप सड़क जाम कर धरना प्रदर्शन करना बताया गया है। उक्त घटना के समर्थन में किसी जनसाक्षी का बयान अंकित नहीं किया गया है, बल्कि मात्र पुलिस साक्षियों का बयान अंकित कर आरोप पत्र विवेचक के द्वारा प्रेषित कर दिया गया है। विवेचक के द्वारा घटना के समर्थन में पर्याप्त साक्ष्य संकलित नहीं किया गया है। सम्पूर्ण पत्रावली के अवलोकन से उक्त घटना को साबित करने हेतु पत्रावली पर पर्याप्त साक्ष्य मौजूद नहीं है।
अदालत ने कहा है कि
मामले में अभियोजन चलाये जाने से दोष सिद्धि की संभावना अत्यन्त क्षीण है तथा न्यायिक प्रक्रिया को जारी रखा जाना उद्देश्य विहीन प्रतीत होता है। अभियोजन वापसी से जनहित पर कोई कुप्रभाव दिखाई नहीं देता है। ऐसी दशा में अभियोजन की प्रक्रिया समाप्त किये जाने की संस्तुति प्रदान किया जाना न्याय संगत एवं उचित प्रतीत होता है। पत्रावली के अवलोकन से स्पष्ट है कि इस मामले में अभियुक्तगण की जमानत हो चुकी है। राज्यपाल ने अभियोजन को वापस लेने हेतु लोक अभियोजक द्वारा न्यायालय में प्रार्थना पत्र प्रस्तुत करने की अनुमति प्रदान की है। अभियोग वापस लेने की अनुमति दी जाती है।