Reported By: न्यूज अड्डा डेस्क
Published on: Aug 4, 2023 | 6:19 PM
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कसया/कुशीनगर। गन्ना कृषकों को शरद कालीन गन्ने की वैज्ञानिक खेती, गन्ने के साथ सह फसली खेती, ट्रेंच विधि से लाभ, गन्ने की प्रजातियां, गन्ना फसल सुरक्षा, तथा गन्ना विकास के लिए शासन द्वारा संचालित योजनाओं को प्रशिक्षण के माध्यम से अधिक सेअधिक कृषकों के खेतों पर पहुंचाकर गन्ने की उत्पादकता एवं चीनी परता बढ़ाने व कृषकों की आय बढ़ाने के उद्देश्य से उत्तर प्रदेश गन्ना किसान संस्थान प्रशिक्षण केंद्र पिपराइच, गोरखपुर द्वारा विशेष प्रशिक्षण अभियान चलाया जा रहा है।
प्रशिक्षण के क्रम में नगरपालिका परिषद कुशीनगर अंतर्गत सिसवा – महन्थ में आयोजित कृषक गोष्ठी में सेवरही गन्ना शोध संस्थान के वैज्ञानिक डा0 केपी सिंह ने बताया कि अभी तक शोध संस्थान द्वारा गन्ने की 49 प्रजातियां विकसित की जा चुकी हैं। सबसे अधिक उपज एवं चीनी परता देने वाली प्रमुख प्रजातियां को.शे. 13452, 11453, 8452, 92423, 1434, 95422 आदि प्रजातियां किसानों में बेहद लोकप्रिय रही हैं। एक प्रजाति विकसित करने में लगभग 8 वर्ष लग जाते हैं। संस्थान के सहायक निर्देशक ओमप्रकाश गुप्ता ने बताया कि प्रत्येक चीनी मिल परिक्षेत्र में शरदकालीन गन्ना बुआई के लिए गांव गांव में गोष्ठोंयो का आयोजन किया जा रहा है।
चीनी मिल के प्रधान प्रबन्धक गन्ना तथा ज्येष्ठ गन्ना विकास निरीक्षक प्रशिक्षण स्थल का चयन कर रहे हैं। सह फसली खेती का फोटो ग्राफ दिखा कर समझाया जा रहा है। जो किसानों में चर्चा का विषय बना हुआ है। उप गन्ना आयुक्त देवरिया परिक्षेत्र एपी सिंह द्वारा प्रशिक्षण कार्यक्रमों के आयोजन में विशेष रुचि लिया जा रहा है। जिसका सकारात्मक परिणाम देखने को मिल रहा है। सेवरही गन्ना शोध संस्थान के कीट वैज्ञानिक डा0 वीके मिश्रा ने किसानों को बताया कि संस्थान पर ट्राइको कार्ड, ट्राईकोडर्मा, जैविक उर्वरक बनाकर कृषकों को उपलब्ध कराया जा रहा है। संयुक्त निदेशक डा0 सुबाष सिंह के मार्गदर्शन में उत्पाद कृषकों को दिया जा रहा है। हो रही प्रत्येक कृषक गोष्ठी में वैज्ञानिक जानकारी दे रहे हैं।
इस अवसर पर गोबर्द्धन प्रसाद गोंड़, रामप्रीत सिंह, जयराम सिंह, बलिराम कुशवाहा, अरविंद यादव, इम्तियाज अंसारी, मन मोहन गोंड़, अजय सिंह, अमित सिंह, महेंद्र गोंड़, स्वामीनाथ कुशवाहा आदि किसान उपस्थित रहे।
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