Reported By: Ved Prakash Mishra
Published on: Mar 24, 2024 | 5:03 PM
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हाटा/कुशीनगर । सबसे आवश्यक यह है कि हमें संस्कृत भाषा को जन जन की भाषा बनाने पर जोर देना चाहिए क्योंकि संस्कृत के सरल प्रयोग से इसे लोक की भाषा बनाया जा सकता है।
उक्त बातें बाबा साहेब डॉ अम्बेडकर विश्वविद्यालय मुजफ्फरपुर बिहार के संस्कृत विभाग के आचार्य प्रो श्रीप्रकाश पाण्डेय ने श्रीनाथ संस्कृत महाविद्यालय में आयोजित सरल मानक संस्कृतम् कार्यशाला में बतौर मुख्य अतिथि कहीं। चार सत्रों में आयोजित कार्यशाला में उन्होंने कहा कि भाषा नहीं रहेगी तो व्याकरण का प्रयोग कैसे होगा। उन्होंने संस्कृत के बोलचाल का तरीका सरलता से समझाया।कहा कि ग्रंथों में जो भाषा है वह बोलचाल में भी सरल होनी चाहिए। भाषा यदि प्रयोग में होगी तो खुद मजबूत हो जाएगी। संस्कृत भारतीय संस्कृति की भाषा है इससे हमारे संस्कृति की पहचान होती है। संस्कृति रूपी जल संस्कृत से ही पीया जा सकता है। प्रोफेसर मार्कण्डेय नाथ तिवारी ने दूरभाष पर अपना वक्तव्य दिया और सरल संस्कृत को जन जन तक पहुंचाने के लिए आवश्यकता जताई।
मुख्य वक्ता संस्कृत भारती के डा जोखन पाण्डेय ने संस्कृत को सरल तरीके से बोलने का प्रयोग बताया और कहा कि पूरे देश को एक सूत्र में बांधने का काम संस्कृत भाषा ही करती है। यह भाषा सुनने और बोलने से सरल हो जाती है। संस्कृत भारती के गोरक्षप्रांत के संगठन मंत्री डॉ श्रीप्रकाश झा ने संस्कृत के स्वरूप, प्रयोजन तथा प्रयोग पर विस्तार से बताया। और कहा कि हम जब नियमित रूप से संस्कृत को बोलने का प्रयोग करेंगे तो अच्छा परिणाम आएगा। अध्यक्ष डीडीयू गोरखपुर विश्वविद्यालय की आचार्य डॉ लक्ष्मी मिश्रा ने संस्कृत की उपयोगिता पर गंभीर व्याख्यान दिया। कार्यशाला में स्वागत डा राजेश चतुर्वेदी एवम् आभार प्रकट मंत्री महामहोपाध्याय पंडित गंगेश्वर पाण्डेय ने किया। उन्होंने कहा कि महाविद्यालय के शताब्दी वर्ष में आयोजित व्याख्यानमाला व कार्यशाला समारोह की कड़ी का महत्वपूर्ण हिस्सा है।
उन्होंने संस्कृत भाषा को जनभाषा बनाने में आमजन की सहभागिता पर जोर दिया।
तिवारी सत्यानंद चतुर्वेदी ने वाणी वंदना एवं स्वागत गीत प्रस्तुत किया। प्रबंधक अग्निवेश मणि अध्यक्ष जयप्रकाश नारायण पाण्डेय ने अतिथियों को सम्मानित किया।
इस दौरान संयोजक डॉ संजीव कुमार पाण्डेय, मोहन पाण्डेय,सतीश शुक्ला,रामश्रृषि द्विवेदी, वशिष्ठ द्विवेदी, संजय कुमार पाण्डेय, पूर्व प्रधानाचार्य शारदा प्रसाद सिंह, प्रधानाचार्य नागेश पति तिवारी, वरिष्ठ पत्रकार एवं कवि ओमप्रकाश द्विवेदी ओम, आदि उपस्थित रहे।
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