Reported By: Surendra nath Dwivedi
Published on: Jul 7, 2025 | 7:46 PM
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कुशीनगर। उत्तर प्रदेश सरकार 50 से कम छात्र संख्या वाले प्राथमिक विद्यालयों को मर्ज करने की तैयारी में जुटी है तो वहीं तमाम शिक्षक वर्ग और जिम्मेदार लोगों के विरोध से मामला गरमाता नजर आ रहा है। इस मामले में बिना पूर्व रिपोर्ट के हाई कोर्ट ने अब नाराजगी जताई है।
बता दें, इस खबर की भनक लगते ही पडरौना ब्लॉक के प्रधान पट्टी गांव के प्राथमिक विद्यालय को विलय से बचाने के लिए बनारस हिंदू विश्वविद्यालय (बीएचयू) के दो पूर्व छात्र दिनेश कुमार और फैज उर्फ रिंकू ने एक अनूठी पहल शुरू कर दी। उन्होंने ठान लिया कि कुछ भी हो जाए हमें अपने क्षेत्र की प्राथमिक विद्यालय को बचानी है और लोगों को शिक्षा का महत्व बताते हुए जागरूक करना है। दिनेश कुमार जो बी.एड. और जेआरएफ क्वालिफाइड हैं, इस विद्यालय में अध्यापक के रूप में कार्यरत भी हैं। वहीं, रिंकू जो कि बीएचयू से इंग्लिश ऑनर्स, एलएलबी, एलएलएम और वर्तमान में गोरखपुर विश्वविद्यालय में कानून के शोध छात्र जो इसी गांव के निवासी हैं। दोनों ने मिलकर विद्यालय को बचाने का बीड़ा उठाया है। रिंकू का कहना है कि सरकार का विद्यालयों के मर्जर या पेयरिंग का निर्णय संविधान के अनुच्छेद 21ए, राज्य के नीति निदेशक तत्व अनुच्छेद 45, और शिक्षा का अधिकार अधिनियम 2009 का उल्लंघन करता है। यह निर्णय 6 से 14 वर्ष के बच्चों को मुफ्त शिक्षा के मौलिक अधिकार से वंचित करता है। विलय के कारण बच्चों को दूसरे गांव में पढ़ने जाना पड़ेगा जो उनके लिए मुश्किल भरा होगा। गांव के इस विरासत को बचाने के लिए वे घर-घर जाकर अभिभावकों को सरकार की शिक्षा से सम्बंधित योजनाओं के बारे में जागरूक कर रहे हैं। गांव में भले ही कई निजी विद्यालय हों, लेकिन उनका कहना है कि इस विद्यालय की अपनी अलग इतिहास और महत्व है। हमने यहां से प्रारंभिक शिक्षा हासिल की है और इसी विद्यालय से मेरे गांव की अस्मिता जुड़ी हुई है। विद्यालय को बचाने के लिए उन्होंने दो दिनों में ही दिन रात एक करके ग्राम वासियों को घर-घर पहुंचकर समझाया और 50 से भी ज्यादा बच्चों को विद्यालय में नामांकन पूर्ण करा दिया है।
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