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“ताले में कैद सरकारी व्यवस्था, ठंड में ठिठुरते किसान,गेहूं के बीज के बिना थम गई बुआई” आंखों देखी (तमकुहीराज)

Surendra nath Dwivedi

Reported By:

Dec 8, 2025  |  11:19 AM

581 लोगों ने इस खबर को पढ़ा.
“ताले में कैद सरकारी व्यवस्था, ठंड में ठिठुरते किसान,गेहूं के बीज के बिना थम गई बुआई” आंखों देखी (तमकुहीराज)

कुशीनगर। प्रदेश सरकार द्वारा किसानों को समय से और सरकारी दर पर गेहूं का बीज उपलब्ध कराने के तमाम दावों की पोल तमकुहीराज क्षेत्र में खुलकर सामने आ गई है। जिले में गेहूं के बीज को लेकर भारी संकट उत्पन्न हो गया है। हालात यह हैं कि किसान दर-दर भटक रहे हैं, लेकिन सरकारी बीज वितरण केंद्रों पर केवल लटका ताला और एक पर्ची के सिवा कुछ भी नसीब नहीं हो रहा।

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समय – सुबह 10 बजकर 15 मिनट
स्थान – मल्टी परपज सीड सेंटर एंड टेक्नोलॉजी डिजिमेनेशन सेंटर, हाटा फार्म, तमकुहीराज (कुशीनगर)

इस संवाददाता की आंखों देखी में केंद्र का कार्यालय और गोदाम दोनों पूरी तरह बंद मिले। मुख्य गेट पर ताला लटक रहा था। आसपास के लोगों से जब जानकारी ली गई तो उन्होंने बताया कि “साहब! पिछले पांच दिनों से कोई नहीं आया, रोज बस ताला ही दिखाई देता है।” गोदाम के बाहर एक सूचना चस्पा मिली, जिस पर साफ लिखा था,“गेहूं का बीज उपलब्ध नहीं है।” लेकिन इस सूचना में यह कहीं दर्ज नहीं था कि बीज कब तक आएगा।उसी बंद गेट के बाहर सैकड़ों किसान ठंड में खड़े होकर ताला खुलने की आस में इंतजार कर रहे थे।

मीडिया टीम द्वारा किसानों से बातचीत करने पर उन्होंने बताया कि वे पिछले एक सप्ताह से रोज सुबह-शाम केंद्र का चक्कर लगा रहे हैं, लेकिन न कोई अधिकारी मिलता है और न ही बीज। कई किसान दूर-दराज के गांवों से आकर निराश होकर खाली हाथ लौटने को मजबूर हैं।

किसानों का दर्द साफ झलक रहा था। उनका कहना है कि गेहूं की बुआई का यह सबसे उपयुक्त समय है, लेकिन बीज के अभाव में खेत खाली पड़े हैं। अगर जल्दी बीज नहीं मिला तो उन्हें मजबूरी में महंगे दामों पर निजी दुकानों से बीज खरीदना पड़ेगा, जिससे उनकी लागत कई गुना बढ़ जाएगी।

ठंड के इस मौसम में सुबह से लाइन में लगे किसान प्रशासन और सरकार की कार्यप्रणाली पर सवाल उठा रहे हैं। किसानों का कहना है कि “अगर यही सरकारी व्यवस्था है, तो फिर सरकारी बीज योजना का लाभ आखिर किसे मिल रहा है?”

मौके से इस संवाददाता ने जिलाधिकारी कुशीनगर महेंद्र सिंह तंवर से दूरभाष पर संपर्क करने का प्रयास किया, लेकिन नेटवर्क की तकनीकी समस्या के कारण उनसे स्पष्ट बातचीत नहीं हो सकी।

सबसे चिंताजनक स्थिति यह है कि सरकारी स्तर पर कोई जिम्मेदार अधिकारी मौके पर मौजूद नहीं है, न ही कोई स्पष्ट सूचना दी जा रही है। इससे किसानों में आक्रोश और निराशा दोनों बढ़ती जा रही है।

अब बड़ा सवाल यह है कि
क्या जिला प्रशासन इस गंभीर समस्या पर संज्ञान लेगा?,क्या किसानों को समय रहते सरकारी दर पर गेहूं का बीज मिलेगा?या फिर अन्नदाता यूं ही ठंड में दर-दर भटकने को मजबूर रहेगा?

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