Reported By: न्यूज अड्डा डेस्क
Published on: Sep 16, 2020 | 6:55 AM
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लखनऊ. उत्तर प्रदेश की योगी सरकार (Yogi Government) ने स्वास्थ्य विभाग (Health Department) में 50 साल से अधिक उम्र के बाबुओं की स्क्रीनिंग और छंटनी (Forced Retirement) के लिये आदेश जारी कर दिया है. इसके लिए 4 सदस्यीय स्क्रीनिंग कमेटी बनाई गई है. यह कमेटी 50 साल से अधिक उम्र के बाबुओं की कार्य दक्षता, ईमानदारी और शारीरिक दक्षता के आधार पर स्क्रीनिंग करेगी. इसके बाद छंटनी की प्रक्रिया शुरू करेगी. सरकार द्वारा मंगलवार को जारी आदेश में कहा गया है कि स्वास्थ्य विभाग में अपने काम के प्रति लापरवाही बरतने वाले और अपने काम में ढिलाई करने वाले कर्मचारियों की स्क्रीनिंग कर उनकी छंटनी की जाएगी. कमेटी को जल्द ही अपनी रिपोर्ट पेश करने को कहा गया है.
जारी आदेश में कहा गया है कि चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग के अधीनस्थ कार्यालयों व चिकित्सालयों में कार्यरत लिपिक संवर्ग के कर्मचारियों की सेवा दक्षता सुनिश्चित करने के लिए अनिवार्य सेवानिवृत्ति के लिए स्क्रीनिंग कमेटी का गठन किया गया है. इस कमेटी में चार सदस्य शामिल हैं जो चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग के 50 वर्ष से अधिक आयु के कार्मिकों की स्क्रीनिंग की कार्रवाई पूरी करते हुए नियुक्ति प्राधिकारी को रिपोर्ट देगी.
छंटनी के लिए स्क्रीनिंग कमेटी में अपर निदेशक (प्रशासन) को अध्यक्ष बनाया गया है. उनके साथ संयुक्त निदेशक (कार्मिक), संयुक्त निदेशक (मुख्यालय) और वरिष्ठ लेखाधिकारी को सदस्य बनाया गया है.
कर्मचारियों में मचा हड़कंप
दरअसल, 2017 में सरकार बनते ही मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने यह बात स्पष्ट कर दी थी कि भ्रष्टाचार के खिलाफ उनकी नीति जीरो टॉलरेंस की रहेगी. पिछले तीन सालों में लगतार स्वास्थ्य महकमे में हुई कई घटनाओं से सरकार की किरकिरी हुई. इतना ही नहीं तमाम कोशिशों के बाद भी स्वास्थ्य महकमे में कोई सुधार देखने को नहीं मिला, जिसके बाद यह फैसला लिया गया. सरकार के इस आदेश के बाद विभाग के कर्मचारियों में हड़कंप मचा हुआ है. कई लोग इस आदेश का विरोध करते नजर आए तो कई लोग ऐसे भी थे, जिन्होंने फैसले का स्वागत किया है.

फैसले से नाराज होकर लिपिक संवर्ग ने 14 अक्टूबर को आंदोलन करने का ऐलान किया है. स्वास्थ्य विभाग में प्रदेश भर में लिपिक संवर्ग के 1400 से 1500 कर्मचारी तैनात हैं. अफसरों की मानें तो इनमें से 50 से ज्यादा उम्र के करीब 30 से 40 प्रतिशत कर्मचारी हैं. शासन के इस फ़ैसले के बाद स्वास्थ्य महकमें में हलचल तेज हो गयी है तो वहीं नाराज़गी के स्वर भी फूटने लगे हैं.
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