बिजली संकट से जनता को राहत दिलाने के लिए योगी सरकार ने बड़ा फैसला लिया. सोमवार को जारी एक अन्य सरकार बयान के अनुसार योगी आदित्यनाथ ने सोमवार को उत्तर प्रदेश पावर कारपोरेशन लिमिटेड के अध्यक्ष को राज्य में बिजली संयंत्रों को कोयले की आपूर्ति के संबंध में गहन समीक्षा करने का निर्देश दिया और राज्य के बिजली संयंत्रों को पर्याप्त कोयले की आपूर्ति सुनिश्चित करने के लिए सभी आवश्यक कदम उठाने को कहा है. उन्होंने शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों में शाम छह बजे से सुबह सात बजे के बीच लगातार बिजली आपूर्ति सुनिश्चित करने के भी निर्देश दिए क्योंकि त्योहारी सीजन चल रहा है.
उन्होंने वीडियो कॉन्फ्रेंस के माध्यम से बिजली विभाग के अधिकारियों के साथ बैठक करते हुए यूपीपीसीएल के अध्यक्ष को राज्य में बिजली संयंत्रों को कोयले की आपूर्ति के संबंध में गहन समीक्षा करने का निर्देश दिया. यहां जारी एक बयान के अनुसार उन्होंने कहा कि राज्य के बिजली संयंत्रों को पर्याप्त कोयले की आपूर्ति सुनिश्चित करने के लिए सभी आवश्यक कदम उठाए जाएं.
सीएम योगी आदित्यनाथ ने कहा कि वर्तमान में त्योहारों का मौसम चल रहा है और राज्य के लोग ‘नवरात्र’ मना रहे हैं, रामलीला भी विभिन्न स्थानों पर चल रही है, ऐसे समय में रात में निर्बाध बिजली आपूर्ति जरूरी है. योगी ने कहा कि उपभोक्ता गलत बिजली बिलों से परेशान हैं, जिससे बिलों का संग्रह प्रभावित होता है. गलत बिजली बिलों के कारण उपभोक्ता को नुकसान नहीं होना चाहिए. समझौते के अनुसार काम नहीं करने वाली बिजली बिलिंग एजेंसियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जानी चाहिए. ऐसी एजेंसियों की जमानतराशि जब्त की जानी चाहिए, साथ ही उनके खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करने के साथ-साथ काली सूची में भी डाला जाना चाहिए. मुख्यमंत्री ने बिजली बिलों के निपटारे के लिए वन टाइम सेटलमेंट स्कीम (ओटीएस) लागू करने के निर्देश दिए.
पावर कारपोरेशन के चेयरमैन एम. देवराज का कहना है कि दस अक्तूबर को गांवों को निर्धारित शिड्यूल 18 घंटे की अपेक्षा 20 घंटे बिजली दी गई. तहसील मुख्यालयों पर भी शिड्यूल से करीब 30 मिनट अधिक बिजली की सप्लाई की गई. प्रदेश में बिजली की मांग और आपूर्ति का संकट सोमवार को भी बरकरार रहा. पीक आवर में राज्य में 20 हजार मेगावाट मांग की तुलना में 17500 मेगावाट बिजली की सप्लाई की गई. पावर कारपोरेशन के सूत्रों के मुताबिक ग्रामीण क्षेत्रों में चार से नौ घंटे तक की कटौती हुई. जिला मुख्यालयों को अभी कटौती से मुक्त रखा गया है.
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