उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव 2022 में भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) गठबंधन को मिली प्रचंड बहुमत के बाद अब सबको ‘योगीराज’ पार्ट टू का इंतजार है. ऐसे में सवाल उठता है कि आखिर वे कौन सी घड़ी होगी, जब सीेएम योगी अपने नए मंत्रीमंडल के साथ नई सरकार के लिए शपथ लेंगे? ऐसे में यह जानना दिलचस्प है कि किन विधायकों को नये मंत्रिमंडल में जगह मिल सकती है. पिछली योगी सरका र के कई वरिष्ठ मंत्री दोबारा जीतकर सदन में पहुंचे हैं. ऐसे में उन्हें तो बड़े-बड़े मंत्रालय दिए ही जाएंगे, लेकिन यूपी के चुनाव में कुछ नए चेहरों ने भी धमाल मचाया है. उनके प्रदर्शन के आधार पर यह अनुमान लगाया जा रहा है कि उन्हें मंत्रिमंडल में जगह जरूर मिलेगी.
इसके अलावा यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने राज्य में प्रचंड जीत मिलने के बाद राज्यपाल आनंदीबेन पटेल को अपना इस्तीफा सौंप दिया है. इसके साथ मंत्रिमंडल की कवायद और तेज हो गयी है.
1. सुरेंद्र कुमार कुशवाहा: कुशीनगर की फाजिलनगर सीट पर स्वामी प्रसाद मौर्य को मात देने वाले सुरेंद्र कुमार कुशवाहा को मंत्रिमंडल में जगह मिल सकती है. पिछड़ी जाति के कोटे से इनके मंत्री बनने की संभावना प्रबल है. कुशवाहा लीडरशिप की कमी पूरी करेंगे.
2. असीम अरुण: दलित कोटे से असीम अरुण को मंत्री बनाया जा सकता है. चुनाव से चंद दिनों पहले असीम अरुण ने कानपुर के पुलिस कमिश्नर का पद छोड़कर भाजपा ज्वाइन की थी. वह कन्नौज सदर से विधायक बने हैं. पुलिस विभाग का लंबा अनुभव असीम अरुण के पास है. योगी आदित्यनाथ ने खुद उन्हें चुनाव लड़ने के लिए राजी किया था. यही नहीं, असीम अरुण को मंत्री पद से ज्यादा भी कुछ हासिल हो सकता है.
3. नितिन अग्रवाल: हरदोई से सपा के विधायक रहे नितिन अग्रवाल को पिछली विधानसभा में भाजपा ने डिप्टी स्पीकर बनाया था. इससे नितिन की ताकत का अंदाजा लगाया जा सकता है. इस बार भाजपा से विधायक बने हैं. ऐसे में उनके भी मंत्री बनाए जाने की संभावना प्रबल है.
4. श्रवण कुमार निषाद: भाजपा की सहयोगी निषाद पार्टी के अध्यक्ष संजय निषाद के बेटे श्रवण कुमार निषाद गोरखपुर की चौरी चौरा सीट से एमएलए बने हैं. वैसे तो संजय निषाद भी MLC हैं, लेकिन इस बात की संभावना जताई जा रही है कि संजय निषाद अपने बेटे को मंत्री बनवाएंगे. श्रवण को राजनीति में स्थापित करने का इससे बेहतर मौका संजय निषाद को फिर शायद ही मिले.
5. अंजुला माहौर: हाथरस सीट से पहली बार विधायक बनी अंजुला सिंह माहौर की लॉटरी लग सकती है. करीब 1 लाख वोटों के अंतर से विजयी हुई माहौर को दलित कोटे से मंत्री बनाया जा सकता है. आगरा की मेयर रह चुकी हैं. बेहद तेजतर्रार लीडर के तौर पर अंजुला की पहचान रही है. दलित लीडरशिप की जिस कमी से भाजपा जूझ रही है उसे अंजुला माहौर पूरी कर सकती हैं.
6. केतकी सिंह: केतकी सिंह ने इस बार के चुनाव में बड़ा उलटफेर किया है. बलिया की बांसडीह सीट पर पहली बार भाजपा केतकी सिंह की बदौलत विजय पताका फहरा सकी है. इससे भी अहम बात यह है कि केतकी सिंह ने सपा के दिग्गज लीडर को हराया है. रामगोविंद चौधरी विधानसभा में लीडर ऑफ अपोजिशन थे. लगातार कई बार से बांसडीह से जीत रहे थे, लेकिन केतकी सिंह ने उन्हें पटखनी दे दी है. इतने सीनियर लीडर को परास्त करने और पहली बार इस सीट पर भाजपा का विजय पताका फहराने के एवज में केतकी सिंह को मंत्री बनाया जा सकता है.
7. अदिति सिंह: रायबरेली सीट पर पहली बार भाजपा का झंडा फहराने वाली अदिति सिंह की भी लॉटरी लग सकती है. उनको मंत्री बनाकर भाजपा 2024 के चुनाव में सोनिया गांधी का किला ध्वस्त करने की जुगत कर सकती है. स्मृति ईरानी के सहारे उसने पहले ही राहुल गांधी की सीट अमेठी छीन चुकी है.
8. त्रिभुवन राम: अजगरा से जीते हैं, मंत्री बन सकते हैं. प्रदेश के मशहूर दलित नेताओं में त्रिभुवन राम का नाम शुमार रहा है. दलित लीडरशिप की कमी को पूरा करने में भाजपा को मदद मिलेगी.
9. बेबी रानी मौर्या: उत्तराखंड के राज्यपाल के पद पर से इस्तीफा देकर यूपी विधानसभा का चुनाव लड़ने वाली बेबी रानी मौर्या मंत्रियों की रेस में बहुत ऊपर हैं. जाटव बिरादरी की होने के कारण और ऊंची प्रोफाइल होने के कारण उनका नाम मंत्रिमंडल में लगभग तय माना जा रहा है.
10. अनुराग सिंह: चुनार से जीते अनुराग सिंह सिंचाई मंत्री रहे ओमप्रकाश सिंह के बेटे हैं. इन्हें मंत्रिमंडल में जगह देकर भाजपा आलाकमान कुर्मी बिरादरी की जबरदस्त गोलबंदी करने का संदेश दे सकता है.
गांव में लगाए गए हेल्थ कैंप में 56 बच्चों की ली गई सैंपल साफ-सफाई…
गोरखपुर। रेलवे पुलिस अधीक्षक (जीआरपी) गोरखपुर लक्ष्मी निवास मिश्र की पत्नी एवं प्रख्यात शिक्षाविद्…
कुशीनगर । गोरखपुर जिले के पिपराइच थाना में गत दिवस पशु तस्करों द्वारा एक…
कुशीनगर। आप तस्वीर देखकर चौंक जाइए मत…! यह कोई मेट्रो ट्रेन नहीं, बल्कि 16…