Reported By: न्यूज अड्डा डेस्क
Published on: Aug 27, 2020 | 5:41 AM
1424
लोगों ने इस खबर को पढ़ा.
कोरोना समेत अनेक वजहों को देखते हुए प्रदेश में टलने वाले पंचायत चुनाव से जहां एक तरफ राजनीतिक दलों और उम्मीदवारों को अपनी तैयारी के लिए समय मिलने के साथ ही ग्रामीण इलाकों की राजनीति में धनबल, बाहुबल व जातिवाद के नए समीकरण भी बनेंगे। प्रदेश सरकार के उच्च पदस्थ सूत्रों के मुताबिक यह चुनाव छह महीने आगे बढ़ाए जाएंगे। तब चुनाव अगले साल फरवरी व मार्च के महीनों में होने की उम्मीद है।
इस लिहाज से देखें तो ग्राम प्रधान व वार्ड सदस्यों का कार्यकाल दो महीने के लिए बढ़ेगा क्योंकि इनका कार्यकाल 25 दिसम्बर तक है। जिला पंचायत अध्यक्ष का कार्यकाल 14 जनवरी तक है, इसलिए उनका कार्यकाल भी एक से दो महीने के लिए बढ़ सकता है। क्षेत्र पंचायत अध्यक्ष यानि ब्लाक प्रमुख का कार्यकाल 18 मार्च तक है इसलिए उनका कार्यकाल बढ़ाने की शायद ही जरूरत पड़े।
चूंकि वर्ष 2022 के फरवरी-मार्च में होने वाले विधान सभा चुनाव के लिए अगला साल ही चुनावी तैयारियों का भी साल होगा इसलिए सभी प्रमुख राजनीतिक दल गांव में अपनी सरकार बनवा कर सूबे की हुकूमत हासिल करने की कोशिश करेंगे। हालांकि पंचायत चुनाव राजनीतिक दलों के चुनाव चिन्ह पर नहीं होते, मगर यह सियासी दल इस चुनाव में प्रत्याशियों को समर्थन देते हुए बराबर सक्रिय रहते हैं।
उधर छह महीने चुनाव आगे बढ़ने की वजह से अब भावी उम्मीदवारों को वोटरों को अपने पक्ष में बनाए रखने के लिए और ज्यादा संसाधन लगाने होंगे और ‘समाज सेवा’ में बराबर सक्रिय रहना होगा। इस लिहाज से अगले पंचायत चुनाव महंगे भी पड़ेंगे।
जहां तक चुनाव आयोग की तैयारियों का सवाल है तो अभी तक परिसीमन की ही प्रक्रिया पूरी नहीं हो पायी है। आयोग को अभी तक 587 पूर्ण रूप से और 680 आंशिक रूप से शहरी क्षेत्र में शामिल पंचायतों का ब्यौरा मिला है। परिसीमन की प्रक्रिया पूरी होने के बाद वोटर लिस्ट के पुनरीक्षण में कम से कम तीन महीने लगते हैं।
Topics: अड्डा ब्रेकिंग ब्रेकिंग न्यूज़