कुशीनगर (न्यूज अड्डा)। कुशीनगर जिले के सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र कसया पर संचारी रोग नियंत्रण अभियान के तहत आशाओ को हाथ धोने का प्रशिक्षण दिया गया। आपको बता दें कि 15 अक्टूबर को ग्लोबल हैंडवाशिंग डे है,जिसे मनाया जायेगा।सभी आशाएं अपने-अपने क्षेत्र में जाकर लोगों को सही तरीके से हाथ धोने का प्रशिक्षण देंगी,जिससे हाथ से फैलने वाली बिमारियो का खतरा कम हो सके,BMC UNICEF आकाश शर्मा ने हाथों को स्वच्छ रखने और व्यक्तिगत स्वच्छता रखने के गुण बताए।आकाश शर्मा ने न्यूज अड्डा से खास बातचीत मे बताया की 15 अक्टूबर को ग्लोबल हैंडवाशिंग डे मनाया जाएगा।इसीलिए आशाओं को हाथ धोने के सही तरीकों का प्रशिक्षण का डेमो दिया गया।इस दौरान आकाश शर्मा,संगिनी सरोज पाठक,बीपीएम अनीता यादव समेत लगभग 130 आशायें उपस्थित थी।सगिनी सरोज पाठक ने बताया की ग्लोबल हैंडवाशिंग डे का उद्देश्य है कि सभी तरह की सोसायटी में साबुन से हाथ धोने के कल्चर को बढ़ावा और समर्थन देना। ग्लोबल हैंड वॉशिंग डे का खास मकसद हर देश में साबुन से हाथ धोने की अहमियत बताते हुए लोगों को हाथ धोने के फायदों के प्रति जागरूक करना है। बाल मृत्यु दर, सांस से संबंधित बीमारियां और डायरिया पर कंट्रोल करने के लिए इस अभियान की शुरुआत की गई थी। साबुन से हाथ वॉश करना एक आसान काम है, जिसके जरिए सांस से संबंधित रोगों से होने वाली मृत्यु का आंकड़ा 25% तक कम किया जा सकता है। जबकि डायरिया से होने वाली मौत में 50% तक की कटौती की जा सकती है। दुनियाभर में 60% से ज्यादा स्वास्थ्य कार्यकर्ता हाथ धोने के नियमों का पालन नहीं करते। यूएस सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन के अनुसार, अमेरिका में भी स्वास्थ्य की देखभाल करने वाले अधिकारी अपने हाथों की सफाई पर ठीक से ध्यान नहीं देते। हाथ धोना एक अच्छी आदत है, जिसकी बदौलत हम कई बीमारियों, जैसे कोरोनावायरस, डायरिया और निमोनियां आदि से महफूज रह सकते हैं। अगर आप भी ग्लोबल हैंड वॉशिंग डे पर अपना योगदान देना चाहते हैं तो लोगों के सामने हाथ धोने के फायदे को बताएं और उन्हें हाथ धोने के लिए प्रेरित करें।
‘सुमन-के’ (SUMAN-K) फार्मूला का ध्यान रखना सभी के लिए बहुत जरूरी है । इसके हर अक्षर में हाथ धोने के वह गूढ़ रहस्य छिपे हैं जो कि हाथों को वायरस या बैक्टीरिया से मुक्त करने में पूरी तरह कारगर हैं । इसके मुताबिक़ ‘स’ का मतलब है कि हाथों को सीधी तरफ से धोएं, ‘उ’ का मतलब है कि उल्टी तरफ से हाथ धुलें, ‘म’ का मतलब है कि मुठ्ठी बनाकर धोएं, फिर ‘अ’ का मतलब है कि अंगूठों को धुलें, ‘न’ बताता है कि नाखूनों को रगड़-रगड़ कर अच्छे से धुलें क्योंकि नाखूनों में आसानी से मैल जमा हो सकती है और आखिर में ‘के’ का मतलब है कि उँगलियों के बाद कलाई को भी धुलना बहुत जरूरी है । इस तरह से बार-बार कम से कम 40 सेकेण्ड तक हाथ धुलने के मौके का फायदा सभी को उठाना चाहिए ताकि बीमारियाँ हमारे शरीर को अपना घर न बना सकें ।
शौच के बाद,कुछ भी खाने-पीने से पहले,खाना बनाने से पहले,बच्चों को खाना खिलाने व स्तनपान कराने से पहले,किसी भी सतह या वस्तु को छूने के बाद।
राज पाठक/न्यूज अड्डा
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