Reported By: न्यूज अड्डा कसया
Published on: Mar 30, 2022 | 4:07 PM
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कुशीनगर। राष्ट्रीय सेवा योजना दुसरो के लिए कार्य करने और समाज को जागरूक अवसर प्रदान करता है। समाज मे व्याप्त कुरीतियों को दूर करने में स्वयंसेवको की महत्वपूर्ण भूमिका होती हैं। हमारे स्वयंसेवको ने कोरोना काल मे जनजागरूकता,मास्क वितरण,टीकाकरण अभियान चलाया जो उनके सामाजिक दायित्वो के निर्वहन की महत्वपूर्ण कड़ी है। हमारे स्वयंसेवक पर्यावरण संरक्षण,पॉलीथिन मुक्ति,स्वच्छता अभियान आदि क्षेत्रों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते है।
उक्त बातें राजकीय डिग्री कॉलेज,ढाणा, कुशीनगर के प्राचार्य डॉ चैतन्य कुमार ने राष्ट्रीय सेवा योजना बुद्ध पी जी कॉलेज कुशीनगर के सप्त दिवसीय विशेष शिविर के समापन समारोह में मुख्य अतिथि के रूप में बोलते हुए कहा। आपने बताया कि हमारे स्वयंसेवको का आदर्श वाक्य है-‘मैं नही हम’।यह भाव परिवार व सामाजिक मूल्यों के संरक्षण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। आपने कवि हरिवंश राय बच्चन की एक कविता -असफलता एक चुनौती है,उसे स्वीकार करो सुनाकर स्वयंसेवको को संघर्ष करने की प्रेरणा दी।
विशिष्ट अतिथि डॉ सुबोध गौतम ने कहाकि आज के समय मे बच्चों का समाजीकरण ठीक से नही हो रहा है।जिस बच्चे का समाजीकरण समाज के अनुरूप नही हो रहा है वहाँ परिवार टूट रहे हैं।आज नैतिक मूल्यों के विकास की जगह उनका पतन हो रहा है।आज के समय में बृद्धाश्रम की भरमार भी मूल्यों के पतन का ही उदाहरण है।
इस अवसर पर विशिष्ट अतिथि डॉ अजय कुमार राय ने बताया कि समाज की नींव हमारा परिवार है।हमे परिवार में अपने से बड़ों और माता पिता का सम्मान करना चाहिए।हमे अपने समाज के आदर्श भगवान गौतम बुद्ध ,भगवान श्री राम,भगवान श्री कृष्ण आदि के जीवन और व्यवहार से सीख लेनी चाहिए।
आज के कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे पूर्व प्राचार्य डॉ अमृतांशु कुमार शुक्ल ने बताया कि पारिवारिक और सामाजिक मूल्यों का संरक्षण कैसे हो यह आज सबसे बड़ी चिन्ता का विषय है।वशुधैव कुटुम्बकम भी एक बुनियादी मूल्य है।यह भी सत्य है कि हम सुनना कम और सुनाना ज्यादा चाहते हैं।हम ठहराना कम और भागने में ज्यादा विश्वास करते हैं।हम करते कम है, वादा ज्यादा करते हैं। अपने कहाकि मूल्यों का संकट इन्ही सब कारणों से है।मूल्यों का संरक्षण एक बहुआयामी विचार है।लेकिन बिना परिवार,समाज,उसकी परंपरा, मनोविज्ञान आदि को समझे मूल्यों का संरक्षण संभव नही है।
कार्यक्रम का संचालन कार्यक्रम अधिकारी डॉ जितेंद्र मिश्र ने किया।बौद्धिक परिचर्चा सत्र में आये हुए अतिथियों का परिचय ,स्वागत और विषय स्थापना कार्यक्रम अधिकारी डॉ निगम मौर्य ने किया।आभार ज्ञापन कार्यक्रम अधिकारी डॉ पारस नाथ जी ने किया।इस अवसर पर डॉ निरंकार राम त्रिपाठी , स्वयंसेवक सागर जायसवाल, अनुराधा,जया मणि, अंकिता अंजू ,आदर्श, अनिकेत आदि उपस्थित रहे।
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