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पूर्वांचल के राजनैतिक किस्से/कुशीनगर: समर्थकों ने पडरौना में मुलायम सिंह यादव को दे दी थी चुनौती,बालेश्वर यादव को भेज दिया था दूसरी बार संसद

न्यूज अड्डा डेस्क

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Published on: Oct 10, 2022 | 4:09 PM
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पूर्वांचल के राजनैतिक किस्से/कुशीनगर: समर्थकों ने पडरौना में मुलायम सिंह यादव को दे दी थी चुनौती,बालेश्वर यादव को भेज दिया था दूसरी बार संसद
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पडरौना/कुशीनगर। राजनीति में बड़े नेताओं के आशीर्वाद से हमेशा से कार्यकर्ता पद पाता रहा है लेकिन बिरले ही कोई ऐसा मौका आता है जब बड़े नेता को चुनौती देकर कोई पद प्राप्त कर ले। संसदीय चुनाव के इतिहास में पूर्वांचल की धरती पर आज भी लोग करीब 18 वर्ष पहले पुरानी आंखों देखी को कहते-सुनते मिल जाएंगे।

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साल 2004 के चुनावों का ऐलान हो चुका था। देश में नई सरकार चुनने की कवायद प्रारंभ हो चुकी थी। सपा ने कुशीनगर जिले के पडरौना लोकसभा सीट से अपने पुराने सारथी को टिकट न देकर बड़ा बखेड़ा खड़ा कर दिया था। सपा के तत्कालीन मुखिया मुलायम सिंह यादव की पडरौना डिग्री काॅलेज के मैदान में सभा होने वाली थी। इस जनसभा में जनता में एकजुटता का संदेश देने के लिए सभी कद्दावर नेताओं को बुलाया गया था।

पडरौना से जिसका टिकट कटा था वह पूर्व सांसद बालेश्वर यादव थे। मुलायम सिंह के सीएम रहने पर इनको मिनी सीएम के रूप में पहचान मिलती थी,मुलायम भी भरे मंच से अपने पूर्व सांसद की तारीफ करते नहीं थकते थे। लेकिन 2004 में सबकुछ बदल चुका था। बालेश्वर टिकट कटने के बाद बगावत में मूड में आ चुके थे। उस घटना के चश्मदीद राजकिशोर यादव सिधुआं स्थान निवासी उस प्रकरण को याद करते हुए बताते हैं कि पूर्व सांसद बालेश्वर यादव का टिकट कटने के बाद तय हुआ कि मुलायम सिंह यादव की जनसभा में ताकत का प्रदर्शन किया जाएगा कि वह प्रत्याशी बदल दें। यूपीएनपीजी काॅलेज के खेल मैदान में जूनियर हाईस्कूल की ओर मुलायम सिंह का मंच लगा था। उसके ठीक विपरीत एक बरगद के पेड़ के पास पूर्व सांसद बालेश्वर यादव अपने समर्थकों के साथ आकर जम गए। जनसभा में आने वालों को बालेश्वर समर्थक यह बात बताने लगे कि अगर उनके साथ हैं तो बरगद के पेड़ की ओर आएं नहीं तो उधर जाएं। दोनों तरफ अच्छी खासी भीड़ जमा हो गई।

राजकिशोर यादव सिधुआं स्थान निवासी बताते हैं कि जैसे ही मुलायम सिंह यादव मंच पर आए तो सबने उनको सुना लेकिन जैसे ही उन्होंने मंच से ऐलान किया कि प्रत्याशी नहीं बदला जाएगा तो पूर्व सांसद के खेमे में खड़े लोगों में काफी संख्या में लोग हूट करने लगे। पूर्व मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव पांच मिनट के भीतर ही अपना स्पीच खत्म कर वापस लौट गए।
इधर,पूर्व सांसद बालेश्वर यादव को निर्दलीय ही चुनाव लड़ाने का ऐलान हो गया। मौके पर ही चंदा एकत्र किया जाने लगा। यहां से नारेबाजी करता हुआ यह हुजुम पूर्व सांसद बालेश्वर यादव के साथ निकला। बाहुबली पूर्व सांसद डीपी यादव, पूर्व सांसद रमाकांत यादव, पूर्व सांसद उमाकांत यादव, भालचंद यादव आदि पहले से ही पडरौना में पहुंच चुके थे। इन लोगों ने भी समर्थन का ऐलान किया। यहीं से वह प्रत्याशी सीधे क्षेत्र की ओर कूच कर गया।

इधर, सपा मुखिया ने भी इस सीट पर अपनी प्रतिष्ठा का प्रश्न बना लिया, इस सीट से सीधे उनको चुनौती मिली थी। लेकिन जनता तो मन में कुछ और ठान चुकी थी। उस चुनाव को याद करते हुए कई जानकार बताते हैं कि बालेश्वर यादव को 2004 में जबर्दस्त जनसमर्थन मिल रहा था। शायद लोग यहां सीधे मुलायम सिंह यादव को चुनौती देकर हरा रहे थे। उनको चैक-चैराहों पर सिक्कों से तौला जाने लगा। लोग अपने धन-संसाधन से खुद चुनाव लड़ने लगे।
परिणाम आया तो बालेश्वर यादव नेलोपा के समर्थन से निर्दलीय ही सांसद बन चुके थे। उनको 206850 वोट मिले थे। कांग्रेस के प्रत्याशी पूर्व गृह राज्य मंत्री और वर्तमान के भाजपा नेता आरपीएन सिंह दूसरे स्थान पर रहे। जबकि सपा प्रत्याशी पांचवें पायदान पर थे। सपा प्रत्याशी रामअवध यादव को महज 66551 मत मिले। इस चुनाव में बसपा के प्रत्याशी नथुनी प्रसाद कुशवाहा को 168869 मत तो भाजपा के प्रत्याशी चार बार सांसद रहे रामनगीना मिश्र को 115969 मत मिले थे।

समाजवादी राजनीति करने वाले पूर्व सांसद बालेश्वर यादव 1985 में पहली बार पडरौना से लोकदल के टिकट पर विधायक बने। 1989 में जनता दल के टिकट पर पडरौना से सांसद चुने गए थे। इसके बाद 1993 में सपा के टिकट पर विधायक बने और 2004 में फिर सांसद।

Topics: पड़रौना

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