Reported By: न्यूज अड्डा डेस्क
Published on: Oct 2, 2022 | 1:56 PM
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व्यापक सविनय अवज्ञा के माध्यम से अत्याचार के प्रतिकार के अग्रणीय नेता थे मोहन दास करम चंद्र गाँधी l या कहे तो भारत एवं भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन के एक प्रमुख राजनैतिक एवं आध्यात्मिक नेता थे गाँधी l उनकी अवधारणा की नीव सम्पूर्ण अहिंसा के सिद्धांत पर रखी गयी थी l जिस गाँधी ने भारत को भारतीय स्वतंत्रता संग्राम दिलाकर पुरे विश्व में जनता के नागरिक अधिकारों और स्वतंत्रता के प्रति आंदोलन के लिये प्रेरित किया l जिन्हे दुनिया भर में आम जनता महात्मा गाँधी के नाम से पुकारती हैं l 1915 ई. में मोहन दास करम चंद्र गाँधी को महात्मा की उपाधि दे कर महात्मा गाँधी के नाम से देश व दुनिया में पुकारा जाने लगा l वर्ष 1944 में सर्व प्रथम सुभाष चंद्र बोस ने महात्मा गाँधी को बापू शब्द की उपाधि दी जिन्हे बापू भी कहा जाता हैं l
इसके अलावा सर्व प्रथम सुभाष चंद्र बोस ने ही रंगून रेडियो से गाँधी जी के नाम सन्देश देते हुए गाँधी जी को राष्ट्र पिता कह कर सम्बोधित करतें हुए आजाद हिन्द फ़ौज के सैनिको के लिये आशीर्वाद और शुभकामनायें मांगी थी l आज हम आजाद भारत देश में प्रति वर्ष महात्मा गाँधी का जन्मदिवस 2अक्टूबर को गाँधी जयंती के रूप में मनाते हैं तथा पुरे विश्व में इस दिन को अंतराष्ट्रीय अहिंसा दिवस के रूप में मनाया जाता हैं l महात्मा गाँधी का जन्म गुजरात राज्य के पोरबंदर नामक क्षेत्र में हुआ था, उनके पिता करम चंद् गाँधी पोरबंदर के दिवान थे l उनके जीवन में उनकी माँ का प्रभाव सबसे अधिक था l गाँधी जी का विवाह 13वर्ष की उम्र में ही उनसे एक वर्ष अधिक 14वर्ष की कस्तूरबा के साथ हो गया था, जिनसे 4संताने थी हरिलाल, मणिलाल, रामदास और देवदास l गाँधी जी ने प्राथमिक शिक्षा से लेकर मैट्रिक व अन्य डिग्रीयां अपने देश में प्राप्त करने के पश्चात लन्दन से बेरिस्टर की डिग्री हासिल कर भारत आये l सबसे पहले गाँधी जी ने प्रवासी वकील के रूप में दक्षिण अफ्रीका में भारतीय समुदाय के लोगो के नागरिक अधिकारों के लिये संघर्ष व सत्याग्रह करना शुरू किया l 1915में भारत उनकी वापसी हुई, जिसके बाद उन्होंने यहाँ के किसानो, श्रमिकों से वसूले जा रहे अत्यधिक भूमि कर और किये जा रहे भेद -भाव के खिलाफ आवाज उठाने के लिये लोगो को एक जूट किया l 1921में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की कमान संभालने के बाद देश भर में दरिद्रतासे मुक्ति, महिलाओ के अधिकार, धार्मिक व जातीय एकता का निर्माण, आत्मनिर्भरता आदि के लिये अनेको कार्यक्रम चलाये l इसके अलावा साथ ही अंग्रेजी राज से मुक्ति दिलाने का भी आवाज उठाने लगे l गाँधी जी ने ब्रिटिश सरकार द्वारा भारतीयों पर लगाये गये लवण कर के विरोध में 1930में नमक सत्याग्रह,1942में अंग्रेज भारत छोड़ो आंदोलन से विशेष ख्याति प्राप्त हुईl दक्षिण अफ्रीका और भारत में आंदोलनों और विरोध के कारण को जेल में भी रहना पड़ा l
गाँधी जी ने विषम परिस्थितियों में भी अहिंसा व सत्य का पालन करतें हुए आगे बढ़ते रहे, और सभी को सत्य व अहिंसा के मार्ग पर चलने का प्रसस्त किया l गाँधी जी ने अपना पूरा जीवन सावरमती आश्रम में बिताया तथा विदेशी वस्त्र त्याग कर भारतीय पोशाक धोती व सूत से स्वयं के द्वारा बनायीं हुई चादर ओढ़ी l सदाचार का जीवन जीते हुए सदैव शाकाहारी भोजन सेवन किया और आत्मा की शुद्धि के लिये लम्बे -लम्बे समय तक उपवास रखते थे l गाँधी की सादगी, विचार व सत्य -अहिंसा जैसे भावो व बिचारो की पूरी दुनिया कायल हैं l गाँधी जी ने देश में फैले छुआ -छूत की भ्रान्तियो को समाप्त करने अथक प्रयास किया, तथा हिन्दू -मुस्लिम एकता के लिये जीवन पर्याय प्रयासरत रहे l गाँधी जी शिक्षा पर अधिक बल देते थे, उनका मानना था कि भारतीय शिक्षा सरकार के नहीं बल्कि समाज के अधीन रहे, इसलिए वे भारतीय शिक्षा को “द ब्यूटीफूल ट्री” कहते थे l इसके साथ ही गाँधी जी की धारणा थी की शोषण विहीन समाज की स्थापना हो l गाँधी जी के विचारों का देश की जनता पर ऎसा असर हुआ कि 1940का दशक आते -आते भारत की आजादी के लिये देश के बच्चे, बूढ़े, जवान, महिला सभी में जोश भर चुका था l इस जज्बे को देख गाँधी जी ने 1942में अंग्रेजो भारत छोड़ो आंदोलन शुरू किया, जो अंग्रेजी सरकार के लिये बहुत बड़ी चुनौती थी l 30जनवरी 1948को देश की आजादी के बाद नाथूराम गोडसे ने गोली मारकर गाँधी की हत्या कर दी l गाँधी जी 79वर्ष की उम्र में देश वासियो अलविदा कह कर चले गये l गाँधी भले ही दुनिया छोड़ कर चले गये पर उनके विचार, योगदान, भाव, त्याग, संवाद, कर्मठता , सन्देश सदैव दुनिया में जीवंत और रमणीय रहेगा l हर युग में गाँधी विचारों, संवेदनाओं की जरूरत है और रहेगी l आज के ही दिन देश में एक और महापुरुष का जन्म हुआ, जिनका नाम लाल बहादुर शास्त्री हैंl शास्त्री आजाद भारत के दूसरे प्रधानमंत्री रहे हैं l
शास्त्रीय जी पूर्ण रूप से गाँधी वादी विचार धारणा के व्यक्ति थे l ये भी सदैव सादा जीवन उच्च विचार में विश्वास रखते थे l शास्त्रीय जी का जन्म 2अक्टूबर 1904को मुगलसराय वाराणसी में हुआ था l शास्त्रीय जी भी जाति व धर्म के भेद -भाव से दूर रहते हुए अपने स्वयं के नाम से जाति की टाइटिल हटाकर शास्त्रीय लिखना शुरू कर दिये l शिक्षा -दीक्षा पूर्ण करने के पश्चात गाँधी विचारों परिपूर्ण देश की स्वाधीनता आंदोलन में सक्रिय भूमिका निभाते हुए कई बार जेल गये l देश आजाद होने के बाद शास्त्रीय जी को कई राजनितिक पद व बिभाग दिये गये जिसको उन्होंने ब खूबी निभाया l धीरे -धीरे नेहरू के साथ नजदीकिया भड़ती गयी और नेहरू के बाद देश के सबसे लोकप्रिय नेता शास्त्रीय जी बने l नेहरू की मृत्यु के बाद सबसे लोकप्रिय नेता होने के कारण देश के दूसरे प्रधानमंत्री बने l 18माह तक प्रधानमंत्री की कुर्सी संभालने के बाद 11जनवरी 1966को ताश कंध, सोवियत संघ रूस में हो गया था l देश की स्वाधीनता, निर्माण और देश को सशक्त बनाने में शास्त्रीय जा भी अपूर्णीय योगदान हैं l