Reported By: न्यूज अड्डा कसया
Published on: May 16, 2022 | 12:45 PM
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कुशीनगर। 2566 वीं त्रिविधि पावनी बुद्ध पूर्णिमा के अवसर पर सोमवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भगवान बुद्ध की जन्मस्थली लुंबिनी के बाद निर्वाण स्थली कुशीनगर पहुंचकर माथा टेकेंगे।ऐसा देश की आजादी के बाद पहली बार है कि जब कोई प्रधानमंत्री जन्मस्थली से लेकर निर्वाण स्थली तक इस महत्वपूर्ण तिथि को पहुंच रहे हैं। लुंबिनी से लौटने के बाद प्रधानमंत्री कुशीनगर में कुल तीस मिनट बिताएंगे, उसके बाद विशेष विमान से वापसी की उड़ान भरेंगे
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सोमवार शाम को बुद्ध पूर्णिमा के दिन कुशीनगर में भगवान बुद्ध के जन्मदिवस और महापरिनिर्वाण दिवस पर पूजा करेंगे. वह इस दिन (बुद्ध पूर्णिमा) पूजा करने वाले देश के पहले प्रधानमंत्री होंगे.
लुंबिनी (नेपाल) से लौटते समय भगवान बुद्ध की परिनिर्वाण स्थली कुशीनगर में पूजा करने आएंगे.पीएम के सरकारी कार्यक्रम के मुताबिक आज सायं 4.20 बजे से 4.30 बजे दस मिनट तक मंदिर में पूजा अर्चना करेंगे,नेपाल से विभिन्न कार्यक्रमों में भाग लेने के बाद प्रधानमंत्री मोदी कुशीनगर के लिए पुनः रवाना होंगे। शाम 4:05 बजे वह कुशीनगर इंटरनेशनल एयरपोर्ट पर पहुंचेंगे। 4:10 पर सड़क मार्ग से वह कुशीनगर महापरिनिर्वाण स्तूप रामाभार 4:20 पर पहुंचेंगे। 10 मिनट तक वह दर्शन, पूजन, अर्चन करने के बाद 4:35 पर पुनः सड़क मार्ग से कुशीनगर से एयरपोर्ट के लिए प्रस्थान करेंगे।4:45 पर उनका काफिला कुशीनगर एयरपोर्ट पर पहुंचेगा,प्रधानमंत्री 4:50 पर लखनऊ के लिए प्रस्थान कर जाएंगे।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी बौद्ध धर्म के सबसे पवित्र दिन बुद्ध पूर्णिमा को कुशीनगर आने वाले पहले पीएम होंगे. वह भगवान बुद्ध के जन्मदिवस और महापरिनिर्वाण दिवस पर पूजा करेंगे. पीएम कुशीनगर इंटरनेशनल एयरपोर्ट पर उतरने के बाद सेना के हेलीकॉप्टर से नेपाल स्थित भगवान बुद्ध के जन्मस्थल लुंबिनी पहुंचे, जहां भगवान बुद्ध की विशेष पूजा अर्चना का कार्यक्रम है. इसके बाद लुंबिनी से लौटने समय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी तथगत भगवान बुद्ध के महापरिनिर्वाण स्थल पर जाएंगे. इस दौरान वह कुशीनगर स्थित भगवान बुद्ध की शयन मुद्रा की प्रतिमा की विशेष पूजा करेंगे.
जानें क्यों खास है बुद्ध पूर्णिमा: बौद्ध धर्म अनुयायियों के लिए त्रिविध पावन बुध पूर्णिमा (वैशाख पूर्णिमा) का विशेष महत्व होता है. आज ही के दिन भगवान बुद्ध का जन्म लुम्बिनी में हुआ था और आज ही के दिन बोध गया में उन्हें ज्ञान की प्राप्ति भी हुयी थी और साथ ही आज के दिन कुशीनगर में उन्हें महापरिनिर्वाण की प्राप्ति हुयी थी. कुशीनगर बौद्धों के लिए बहुत ही पवित्र स्थान है. चार बौद्ध तीर्थों में कुशीनगर अपना महत्वपूर्ण स्थान रखता है क्योंकि कुशीनगर की इसी पवित्र धरती पर भगवान बुद्ध ने अपना अन्तिम श्वास लिया था और अंतिम संदेश के साथ यहीं महापरिनिर्वाण प्राप्त किया था.
॥ बुद्धम् शरणम् गच्छामि ॥
॥ धम्मम् शरणम् गच्छामि॥
॥ संघम् शरणम् गच्छामि ॥
आज पूरा विश्व इसी रास्ते पर चलने का प्रयास कर रहा है.
Topics: अड्डा ब्रेकिंग कसया