Reported By: न्यूज अड्डा डेस्क
Published on: Jan 16, 2021 | 2:44 PM
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फणीन्द्र पाण्डेय/न्यूज अड्डा
कप्तानगंज/कुशीनगर | नगर कप्तानगंज की साहित्यिक संस्था प्रभात साहित्य सेवा समिति की 337 वीं मासिक काव्य गोष्ठी “आज की शाम सेना दिवस के नाम ” पर शुक्रवार को कवि इंद्रजित इंद्र के आवास पर प.उमाशंकर मिश्र की अध्यक्षता में सम्पन्न हुई। मुख्य अतिथि रणजीत सिंह विशिष्ठ अथिति पूर्व विधायक दीपलाल भारती, जे पी इंटर कालेज के प्रबन्धक श्रीराम प्रसाद रहे। संचालन किया बेचू.बी ए.ने सर्व प्रथम मां शारदे के चित्र पर अथितिओं द्वारा पुष्पार्चन हुआ। तदोपरांत माँ की वंदना इन्द्रजित ने पढ़ा-“माँ अब तो आ जाइए, बांध धीरज के सब बह गए।”
इसके बाद नुरुद्दीन नूर ने यह सुनाया-
“दिल को घेरे हुए हैं ग़म तेरे, जब से जारी हैं ये सनम तेरे”
युवा कवि अंशदीप पीयूष ने खूब सुनाया-
“नशा -ए-शतरंज में मशगूल थे हम
जो बचा था होश -शायरी में लग गए।”
इसके बाद डा. इम्तियाज़ समर ने यह सुनाया-
“उसे नेता समझ लेती है मेरे देश की जनता
जो जनता को नए सपने दिखाना सिख लेता है।”
इसके बाद कवि बेनिगोपाल शर्मा ने सुनाया –
“जय बोलोगे भारत माँ की ,हाथ तिरंगा लहराओगे”
वहीं शौर्यजीत ने सुनाया-
“भारत के वीरों में गजब का धैर्य है
अखण्ड भारत का सपना देखा जो …”
अमजद अली की रचना खूब सराही गई-
“हिन्दू मुस्लिम मत देखो , इंसान कौन है ये देखो।”
इसके बाद मेजबान इन्द्रजित इंद्र ने यह सुनाया-“वंदे मातरम गाने में जो दुश्मन से कतराते हैं।”
इसके बाद संचालन कर रहे बेचू बी ए ने सेना के दिलेरी पर यह गीत सुनाया-
“सीना ताने आज शिखर पर ,सैनिक फर्ज निभाते हैं
आज दिवस है उन वीरों का,जो शत्रु को दूर भगाते हैं
अंत में अध्यक्ष उमाशंकर मिश्र ने यह सुनाया-
” नेता की नाक कटी तो उनका बुरा हाल था
क्यों कि वह उनके नाक का बाल था।”
इस मौके पर अधिवक्ता जयराज सिंह दिनेश यादव हरेराम गुप्त संजय मिश्रा मनोज गुप्ता घनश्याम सिंह केदार वर्मा शोभ गुप्ता कृष्णा मद्धेशिया वृजेश गुप्ता आदि लोग मौजूद रहे।
Topics: कप्तानगंज