हाटा/कुशीनगर। स्थानीय तहसील क्षेत्र के सुकरौली विकास खंड क्षेत्र में स्थित है औघडी सिद्ध पीठ बंचरा दरबार ,इस दरबार में सच्चे मन से मागी गयी हर मुराद को आदि शक्ति जगत जननी माॅ भवानी पूर्ण करती है। यह सिद्ध पीठ को तीन जगहो पर अलग अलग नामो से जाना जाता है जिसमे सिद्ध पीठ करमहा मठ जहा भक्त गण माँ के काली स्वरुप की पूजा करते हैं वही पडरौना के पास स्थित सिद्ध पीठ मगरुआ जहा भक्त गण मां के जलपा मा के रुप में पूजते हैं वही सिद्ध पीठ बंचरा मे मां के आदि शक्ति के रुप मे पूजते हैं।
इन दरबारो का एक ही मंहंथ होता है। सिद्ध पीठ बंचरा दरबार कभी जंगल के रुप में सुशोभित हुआ करता था लेकिन समय का प्रभाव के चलते वृक्षों के कटान से अब वन कम हो गया है। इस दरबार में दरवाजे पर ही बाबा भैरव नाथ जहा दाएँ दिशा में बिराजमान है वही वाए दिशा में हनुमान जी स्थित है तो मंदिर के अंदर माता पार्वती व भगवान् भोलेनाथ मौजूद हैं बगल में सिद्ध पुरुषों की समाधी मौजूद हैं जो उनकी सिद्धि को याद दिलाता है वही मंदिर से तीन सौ मीटर की दुरी पर मां झांकी का प्रसिद्ध स्थान है जहा तंत्र साधक अपने मनोकामनाओं को पूर्ण कर लोगों के अनेक दुखो को दूर किया जाता है । इन सिद्ध पीठो पर कभी सिद्व बाबा दिगू नाथ बाबा हंसनाथ बाबा मथुरा नाथ बाबा रक्षानाथ बाबा महाबीर नाथ जैसे प्रसिद्ध सिद्ध पुरुषो का कर्म स्थली व तप स्थली रहा है जहा इनकी समाधिया लोगो को बरबस अपने ओर ध्यान आकृष्ट करती है। दरबार में जाने वाले लोग इन महान सिद्धों की समाधिया पर अपना सर झुका कर मन्नत माँगते हुए दिखाई देते हैं इन संतो और मां की कृपा से हर मुराद लोगो का पुर्ण होता है। वैसे वर्ष भर श्रद्धालु आते जाते रहते हैं। माँ बंचरा देवी अपने भक्तो के हर मुराद को पुरा करती है ।
अभी कुछ दिन पूर्व ही पर्यटन स्थल के रूप में विकसित करने के लिए प्रदेश सरकार द्वारा करमहा मठ के के 4 करोड़ 91 लाख की लागत से सांसद ने भूमि पूजन व शिलान्यास किया । वहीं बंचरा में भी पार्क व अन्य व्यवस्थाओं के लिए भी धन जारी है।इस दौरान जहां करमहा में महंथ के रुप में विवेकनाथ देखभाल कर रहे हैं तो बंचरा,मगरुआ का देखभाल मंहथ के रुप में दीपकनाथ कर रहे हैं।
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