Reported By: Ved Prakash Mishra
Published on: Mar 14, 2022 | 6:40 PM
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हाटा/कुशीनगर। साहित्यिक, सामाजिक एवं सांस्कृतिक संस्था “संदेश” की नियमित मासिक कवि गोष्ठी(३०४वीं) श्रीनाथ सं. महाविद्यालय के सभागार में संस्थाध्यक्ष त्रिलोकी त्रिपाठी ‘चंचरीक’ की अध्यक्षता में हुई। गोष्ठी की मुख्य अतिथि सन्तोष श्रीवास्तव ‘तनहा’ तथा विशिष्ट अतिथि सन्तोष गुप्त ‘संगम’ जी रहे, संचालन कवि एवं पत्रकार मोहन पाण्डेय ने किया।
माँ शारदे की वंदना से प्रारम्भ हुई गोष्ठी में आकाश महेशपुरी ने गोष्ठी का जबरदस्त आगाज़ किया-
“नेता नोटों की गड्डी से खेल रहे हैं खेल।
जीवन अपना फीका मिले नमक ना तेल, जोगीरा सा रा रा रा।।”
उस्ताद शायर मोहतरम अब्दुल हमीद “आरज़ू” की ग़ज़ल
“होली का हुड़दंग मुबारक।
लाल गुलाल और रंग मुबारक।।”
ने महफ़िल में चार चाँद लगा दिए।
शैलेन्द्र ‘असीम’ ने …
“बाद पतझड़ के गुलिस्तां को सजाया जाए।
पास फूलों के तितलियों को बुलाया जाए।।”
पढ़कर अभूतपूर्व और सामयिक प्रस्तुति दी।
कवि रामानुज द्विवेदी की रचना सराही गई-
“मदन सहित आवे बसन्त।”
कवि मोहन पाण्डेय की रचना पर खूब तालियाँ बजीं-
“पीली हुई सरसों, परदेश में है कन्त।
कासे कहूँ सजनी कि आयो वसन्त।।”
संस्था के अध्यक्ष त्रिलोकी त्रिपाठी ‘चंचरीक’, रमेश उप प्रबन्धक सच्चिदानंद पाण्डेय, रमेश साव, मंजर सेराज गोरखपुरी, गोमल यादव ने गोष्ठी को ऊँचाई प्रदान की।
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