दो सराफा कारोबारियों से 30 लाख की लूट में जेल भेजे गए दरोगा और सिपाहियों ने महकमे की छवि को बट्टा लगाने में कोई कसर नहीं छोड़ी है। पुलिसवालों की करतूत लोगों के बीच चर्चा में है। लेकिन ऐसा नहीं है कि पुलिस विभाग में हर कोई लुटेरा ही है। 35 साल पहले ईमानदारी की मिसाल पेश कर एक दरोगा ने गोरखपुर ही नहीं, पूरी यूपी पुलिस का मान बढ़ाया था। तब दरोगा ने 4.20 लाख रुपये पकड़ा था। उतनी रकम एक साथ उसने जिंदगी में पहली बार देखी थी। रुपये लेकर नेपाल जा रहे व्यक्ति ने पूरा पैसा लेने का ऑफर दिया पर दरोगा की ईमानदारी को वह नहीं खरीद पाया। दरोगा ने पुरी रकम कस्टम के हवाले कर दी था। तत्कालीन कप्तान आईपी भटनागर को जब पता चला तो उन्होंने गोलघर में दौड़ते हुए दरोगा को गले लगा लिया था। बाद में वह दरोगा डिप्टी एसपी से रिटायर्ड हुआ। उसे राष्ट्रपति पुरस्कार से भी सम्मानित किया गया। उस समय दरोगा को रुपये का ऑफर देने वाला आज शहर का बड़ा सर्राफा कारोबारी है वह भी दरोगा की तारीफ करता है।
बात मई 1985 की है। तब महराजगंज जिला नहीं था, वहां के थाने और चौकियां गोरखपुर में ही आती थीं। सोनौली बार्डर पर नौतनवा चौकी इंचार्ज थे सब इंस्पेक्टर श्यामरथी आर्या। वह अपनी ड्यूटी पर मुस्तैद थे कि इस बीच एक व्यक्ति साइकिल से काफी तेजी से नेपाल की तरफ जा रहा था। उसने साइकिल के हैंडिल में एक झोला टांग रखा था। श्यामरथी ने अपने हमराहियों से उसे दौड़ाकर पकड़वा लिया। चौकी इंचार्ज ने पूछा झोले में क्या है? उस व्यक्ति ने बताया कि बहन की शादी के लिए साड़ी रखे हैं। उन्होंने झोला खोल कर दिखाने के लिए कहा। काफी आनाकानी के बाद जब उस व्यक्ति ने झोला खोला तो उसमें तकरीबन चार लाख बीस हजार रुपये थे। दरोगा ने रकम के बारे में पूछना शुरू किया तो उस व्यक्ति ने कहा आधा आप रख लो और मुझे जाने दो। दरोगा एक गरीब परिवार से पुलिस में आए थे उन्होंने इतनी रकम कभी एक साथ नहीं देखी थी। उसके बाद भी उनका इमान नहीं डिगा। उन्होंने कहा कि तुम साथ चलो मुझे एक रुपया भी नहीं चाहिए। उसके बाद उस व्यक्ति ने पूरा पैसा रखने का ऑफर देते हुए कहा इसे रख लो और मुझे जाने दो। दरोगा हैरत में पड़ गए लेकिन उतनी बड़ी रकम के उनकी ईमानदारी पर आंच नहीं ला पाई। उन्होंने कस्टम अधीक्षक बीनए सिंह को सूचना दी और रुपये की बरामदगी दिखाने के साथ उन्हें सुपुर्द कर दिया। कस्टम अधीक्षक भी दरोगा की इस ईमानदारी से काफी प्रसन्न हुए। उन्होंने तत्कालीन पुलिस अधीक्षक गोरखपुर आईपी भटनागर को इसकी जानकारी दी।
कप्तान आईपी भटनागर ने पैदल गोलघर में जा रहे दरोगा श्यामरथी को देखा तब तक उनकी गाड़ी पचास कदम आगे बढ़ चुकी थी। कप्तान ने गाड़ी रुकवाई और दौड़ते हुए दरोगा के पास पहुंचे और गले लगा लिया। उन्होंने कहा कि तुमने गोरखपुर का नहीं उत्तर प्रदेश पुलिस का मान बढ़ा दिया। वह श्यामरथी को अपने बंगले पर ले गए। अपनी पत्नी को बुलाया और कहा इन्हें पानी पिलवाओ इस दरोगा ने मेरा सिर गर्व से ऊंचा कर दिया है। दरोगा श्यामरथी डिप्टी एसपी से रिटायर होने के बाद गोरखपुर में ही रह रहे हैं।
सोना लूट की घटना में पुलिस वालों के नाम सामने आने पर श्यामरथी ने अपनी कहानी मीडिया से साझा की। श्यामरथी बताते हैं कि वह साइकिल वाला व्यक्ति इस समय गोरखपुर का बड़ा सराफा कारोबारी है। आज उससे मुलाकात होती है तो वह बेबाकी से उस घटना का जिक्र करता है और कहता है कि मैंने ऐसा पुलिसवाला नहीं देखा जिसने सारा पैसा ही ठुकरा दिया था। फिलहाल श्यामरथी आर्या को उनके अच्छे कार्यों से उन्हें कई सम्मानों से नवाजा गया है। राष्ट्रपति पुरस्कार से भी सम्मानित किया गया है। बावरिया गिरोह के खात्मे के रूप में भी उन्हें याद किया जाता है। सिद्धार्थनगर के बांसी कस्बे में दो घरों में पड़ी डकैती के बाद उन्होंने इस गिरोह को खत्म किया था।
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