Reported By: Surendra nath Dwivedi
Published on: Mar 23, 2021 | 5:04 PM
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कुशीनगर। होली,रामनवमी,के साथ शब ऐ बारात का त्योहार सामने है। और घरों में त्योहार हो और मंहगी मिठाईयों की बात न हो यह संभव ही नहीं। चकाचौंध और सजावट के आगे गुणवत्ता ताक पर है जो आपके अपनों को गंभीर बिमारियों के दहलीज पर खड़ा कर सकता है यह मिठाई ! पर बड़ी बात तो यह है कि कारोबारियों पर नियंत्रण करने वाले फूड एंड सेफ्टी विभाग का नाम मात्र भी भय इन कारोबारियो पर नहीं है। और मिलावटी मिठाइयों से बाजार भरा पड़ा है। इस प्रकार के मिठाई को बनाने वाले कारोबारी अपने कैरियर के माध्यम से छोटे-छोटे बाजारों में अभी से आपूर्ति शुरू कर दिये है। लेकिन सम्बंधित विभाग सुविधा-शुल्क के आगे चुप बैठी है। काश!!जिलाधिकारी महोदय की नजर इन लोगो पर पड़ती।
हम बात कर रहे हैं जनपद कुशीनगर के पूर्वी सीमा से सटे इलाकों की यहां सलेमगढ़, लतवाचट्टी, तरयासुजान,तिनफेडिया, जमसडिया,रामपुर,दनियाडी,सिसवांनाहर,अहिरौलीदान, जैसे छोटे बड़े दो दर्जन से अधिक चट्टी चौराहे है। जहां लगातार सेवरही, तमकुहीराज,पडरौना, कसया बिहार के जलालपुर, कुचायकोट,सासामुसा, गोपालगंज आदि जगहों से यहां बेहद सस्ते दामों में मिठाईयां कैरियर के के माध्यम से उपलब्ध कराई जाती है। गौरतलब बात यह है कि मिठाईयों के लिए दूध और खोवा जैसे चीजों की आपूर्ति इन गांवों से ही होती है। पर मिठाईयां शहर से प्राप्त हो रही है।बाजार में चारों तरफ मिठाइयों की खुशबू फैलने लगी है। मिठाइयां दुकान में सजी दिख रही हैं और लोग भी इन्हें खूब खरीद रहे हैं। बात करें रेट की तो यहां दो से लेकर पांच सौ तक के रेट में सजावटी मिठाईयां उपलब्ध है। पर गुणवत्ता की कोई गारंटी नहीं। एक कारोबारी से इस वावत पूछा गया तो नाम उजागर न होने के शर्त पर बताया बेसन की लड्डू 70,काजू की बर्फी 200,गुलाब जामुन 80,जैसे रेट पर यहां उपलब्ध करा दी जाती है जिसकी बहुतायत डिमांड है। और मंहगे दामों में बेची जाती है। लागत से भी कम में मिठाईयों की उपलब्धता सीधे तोर पर मिठाइयों के गुणवत्ता को संदेह के दायरे में खड़ा करता है। जो सेहत के लिए जानलेवा साबित हो सकती है। मिलावट के संबंध में पूछे जाने पर एक कारोबारी ने नाम नही छापने के शर्त पर बताया की खोये में मैदा, सिंथेटिक दूध, आर्टिफिशल पाउडर का इस्तेमाल किया जाता है। वहीं सिंथेटिक खोया में डिटर्जेंट पाउडर, यूरिया और घटिया किस्म का तेल या मोबिल ऑयल प्रयोग किया जाता है। केसर में लकड़ी का बुरादा या मक्का मिलाई जाती है। शुद्ध चांदी के वर्क की जगह ऐल्युमिनियम फॉइल से मिठाइयों को सजाया जाता है। इसके अलावा इनमें नकली रंग और चीनी की जगह सस्ती सैक्रीन नाम का केमिकल इस्तेमाल किया जाता है।
कई बार खोये में मिलावट के लिए उबला हुआ आलू, शकरकंद, मैदा या अरारोट मिला दिया जाता है। इसके अलावा, सफेद ब्लॉटिंग पेपर को भी घोलकर खोया बनाते वक्त मिला दिया जाता है, जो कि आम प्रचलन है
इस संबंध मे चिकित्सा प्रभारी तरयासुजान अमित कुमार राय से संबंधित बिमारियों के बारे में पूछा गया तो उन्होंने बताया मिलावटी मिठाइयां पाचन तंत्र और आंतों को नुकसान पहुंचाती हैं। इससे कब्ज, उल्टी, दस्त, पेट दर्द व गैस की दिक्कत हो सकती है। लंबे समय तक इन्हें खाने से शरीर में सूजन भी हो सकती है। साथ ही महिलाओं को माहवारी में दिक्कत हो सकती है यहां तक कि कैंसर जैसी बिमारी भी हो सकती है। ऐसे मिठाईयां से लोगों को बचना चाहिए उन्होंने अपील की है कि मिलावट से बचने के लिए लोग चॉकलेट्स, ड्राई फ्रूट्स, मुरब्बा, ड्राई आंवला, खजूर और ताजा फल गिफ्ट के तौर पर दे सकते हैं और प्रयोग में ला भी सकते है।पर सबकुछ जानते हुए भी फूड एंड सेफ्टी डिपार्टमेंट चैन की नींद में है,और बिमारी बेचने का कारोबार चरम पर।
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