Reported By: Farendra Pandey
Published on: Feb 17, 2021 | 11:40 AM
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कप्तानगंज/कुशीनगर: बसन्त पंचमी के मौक़े पर कप्तानगंज की साहित्यिक ,सामाजिक संस्था प्रभात साहित्य सेवा समिति की 338 वीं काव्य गोष्ठी कवि बेचू बी ए के आवास पर मंगलवार की रात्रि में सम्पन्न हुई।अध्यक्षता प उमाशंकर मिश्र व संचालन किया इन्दरजीत ने ।मुख्य अतिथि दिनेश यादव रहे।
काव्य गोष्ठी का शुभारंभ माँ शारदे के चित्र पर अथितिओं द्वारा पुष्पार्चन व द्वीप प्रज्वलित कर माँ शारदे की वंदना से कवि अश्वनी दृवेदी से हुई।इसके बाद इन्होंने यह सुनाया-
“ना बिकना तुम किसी फरेब के धोखे में मत आना”
अंशदीप गुप्त ‘पीयूष’ने खूब सुनाया-
“खुशी , उदासी प्यार उलझने
भरपूर दी है उसने…”
कवि विनोद गुप्ता ने यह सुनाया-
“मेरे भारत के वैभव की कथा हर ग्रन्थ कहती है”
इम्तेयाज़ लक्ष्मीपुरी -“का हरि के महिमा बखानी ,भइलें मूर्खे ज्ञानी…”
आनंद अनुज-“वीर शहीदों ने हंसकर फांसी को गले लगाया…”
इसके बाद अर्शी बस्तवी ने खूब सुनाया-
“हमारे हाथ से छूटा जो सबका दामन,
तेरे सितम का मुकम्मल हिसाब करेंगे।”
डॉ इम्तियाज समर –
“उसे नेता समझ लेती है मेरे देश की जनता
जो जनता को नए सपने दिखाना सिख लेती है”
मेजबान बेचू बी ए ने समसामयिक रचना किसान आंदोलन पर खूब सुनाया-
“कितनी कीलें ठोकोगे , धरती के तुम सीने में
नुकीले तारों से कबतक चुभवावोगे सीने में।”
इसके अलावा नुरुद्दीन नूर,कन्हिया लाल करुण, मु अफसर, आर के अमजद अली, बेनी गोपाल शर्मा , इंद्रजीत इंद्र ने भी रचना पाठ किया।
अंत मे अध्यक्ष ने यह सुनाया-
“हादसों की जद पे जिंदगानी है..”
अंत में मुख्य अतिथि दिनेश यादव ने कहा कि साहित्यकार समाज का दर्पण जरूर होता है लेकिन उसे एक ही क्षेत्र में काम नहीं करना चाहिए उसे नई व समसामयिक विषयों पर कलम चलाना चाहिए।तभी रचनाकार एक मुकाम हासिल कर पायेगा।
Topics: कप्तानगंज