Reported By: न्यूज अड्डा डेस्क
Published on: Nov 4, 2021 | 5:50 PM
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कुशीनगर । कहा जाता है कि जीवन जीने के लिए तीन चीज रोटी, कपड़ा और मकान बहुत जरूरी है। रोटी की व्यवस्था तो केंद्र और राज्य सरकार द्वारा आज कल पूरी कर दी जा रही है। अगल-बगल के लोगों के सहयोग से फटे -पुराने कपड़े की भी आवश्यकता पूरी हो जा रही है। लेकिन मकान की व्यवस्था करना एक गरीब लाचार मजदूर के लिए कितना कठिन है इसका जीता- जागता उदाहरण देखना है तो कुशीनगर जिले के विकासखंड सुकरौली के ग्राम सभा पिडरा (नौका टोला) में देखिए। निषाद परिवार की एक महिला कठिन परिश्रम कर सैकड़ों बार प्रधान के घर का चक्कर लगाने के बाद भी प्रधानमंत्री आवास से कोसों दूर एक टूटी- फूटी झोपड़ी में वर्षों से अपना जीवन यापन करने पर मजबूर है। किसी तरह जाड़ा और गर्मी का मौसम तो कट जाता है लेकिन जब भी बरसात का मौसम आता है तो इनके परिवार पर कहर बरसाता है। ।बरसात का एक भी बूंद पानी झोपड़ी से बाहर नहीं जाता है । पूरी बरसात की रात इनको जाग कर गुजारनी पड़ती है जिसका नतीजा बार-बार इनके परिवार का तबीयत खराब होता रहता है।मजदूरी से जो भी थोड़ा बहुत पैसा मिलता है वह दवाई में ही खर्च हो जाता है।
कुशीनगर जिले के विकासखंड सुकरौली के ग्रामसभा पिडरा (नौका टोला) निवासी रामावती पत्नी कन्हैया निषाद प्रधानमंत्री आवास न मिलने की वजह से झोपड़ी में ही जीवन यापन करने पर मजबूर है ।बार-बार पूर्व प्रधान के घर का चक्कर लगाने के बाद भी गरीब महिला को आवास नही मिल पाया। एक छोटी सी टूटी -फूटी झोपड़ी में महिला चूल्हा -चौका और बिस्तर के साथ बच्चों का गुजारा करती है। इस परिवार को सबसे ज्यादा दिक्कत बरसात के दिनों में उठाना पड़ता है ।झोपड़ी टूटी-फूटी होने के कारण बरसात का सारा पानी झोपड़ी के अंदर ही गिरता रहता है।इनके परिवार के लोगो को झोपड़ी के किसी कोने में दुबक कर रात बितानी पड़ती है। पूर्व प्रधान तो इस परिवार को आवास दिलाने असमर्थ रहे। नवनियुक्त प्रधान से आवास की आस लगाये यह महिला मीडिया को बतायी कि बार-बार पूर्व प्रधान के पास दौड़ने के बाद भी प्रधान द्वारा आवास दिलाने की कोई पहल नहीं की गयी। जबकि पूर्व प्रधान प्रतिनिधि भोला चौहान का कहना है कि हमारे गांव पिडरा में पच्चासो ऐसे परिवार है जो झोपड़ी में अपना जीवन बिताने को मजबूर है। रामावती देवी का नाम आवास वाली सूची में प्रथम स्थान पर है लेकिन विभाग के कर्मचारियों की लापरवाही से हमारे गांव का नाम विकासखंड के सूची में शो ही नहीं करता है ।जिसका नतीजा हमारे गांव के गरीब लाचार जो आवास के पात्र हैं वह भी प्रधानमंत्री आवास से वंचित हैं।
Topics: सुकरौली