Reported By: Surendra nath Dwivedi
Published on: Mar 8, 2021 | 3:36 PM
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तमकुहीराज/कुशीनगर | उत्तरप्रदेश-बिहार सीमा पर स्थित सलेमगढ़ बाजार में राम कथा के अमृत वर्षा करते हुये आज द्वितीय दिवस कथा को प्रारम्भ करते हुए वृन्दावन से पधारे कथा व्यास पुज्य अतुल कृष्ण भारद्वाज जी महाराज ने गुरू एव नाम महिमा के साथ भावना एवं भक्ति की सुन्दर व्याख्या की ।
कथा को आगे बढते हुये पूज्य महाराज श्री ने कहा कि गुरु का अर्थ है के अपने शिष्य को सदैव अन्धकार मय जीवन से मुक्त कर प्रकाश की ओर बढ़ने का मार्गदर्शन करते है । भगवान शिव सम्पूर्ण विश्व के गुरू है . माँ पार्वती के आग्रह पर भगवान शिव मानस जैसी गंगा की कथा सुनाई – भगवान शिव ने माँ पार्वती से कहा कि आप ऐसी ज्ञान रूपी गंगा के विषय की कथा सुनने को कहा जिससे सम्पूर्ण विश्व कल्याण सम्भव होगा -गंगा तो गंगोत्री से चलकर गंगा सागर तक कुछ क्षेत्र रह जाती है – सम्पूर्ण मानव- समाज को अपने क्षेत्र से चलकर गंगा में डुबकी लगान हेतु आना पडता है . परन्तु राम चरित मानस रूपी गंगा विश्व के प्रत्येक जनों तक स्वयं पहुंचेगी अर्थात गुरू वही है जो मनुष्य को परमात्मा से जोड़ दे ।
गुरू नरहरीदास को कृपा से एक साधारण सा बालक श्रीराम चरित मानस के रचयिता बन गये । संत तुलसी दास जी बालकाल में भूखे रहते थे , लोग अपने दरवाजे पर खड़े नहीं होने देते थे , लेकिन बड़े होने पर मानस की रचना करने के बाद बड़े – बड़े राजा पाव धोते थे । यह केवल गुरू कृपा है । आगे कथा व्यास ने कहा कि कलियुग में नाम की बड़ी महिमा है राम– नाम भगवत एक ऐसा साधन है जो मानव समाज को इस भाव सागर से पार उतार देता है , राम – नाम की महिमा गाकर भक्त प्रहलाद , बालक ध्रुव , भक्त्त मीराबाई , सन्त रविदास , सन्त कबीर , संत रहीम, सदन कसाई एवं अजामिल जैसे अनेक का नाम का स्मरण कर साक्षात देवलोक पहुँच गये । राम – नाम के रस में डूबकर चैतन्य महाप्रभु ने आज लाखों हिन्दू एय ईसाई को वैष्ण्णव बना दिये मांस मदिरा लहसुन प्याज का परित्याग कर दिए!
विश्व के प्रसिद्ध फिल्म निर्माता स्टीफन स्पिल वर्ग एवं हालीवुड की प्रसिद्ध अभिनेत्री जुलिया राबर्ट्स साथ ही लन्दन के उद्योगपति मिस्टर फोर्ड राम – नाम की महिमा के कारण आज वैष्णव हो गये । लाखों ईसाई हिन्दू धर्म स्वीकार करके वृन्दावन एवं देश के अनेक धार्मिक स्थलों पर भगवत नाम का गुणगान करते हुए माला जाप रहे है । आज इन्हीं भक्तों के सहयोग से वृन्दावन में भव्य मन्दिर चन्द्रोदय मन्दिर बनना शुरू हो गया , जिसका भूमि पूजन भारत के राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी के कर कमलों में द्रारा हुआ । आगे कथा व्यास ने कहा कि जो व्यक्ति स्वयं में सुधार करे उसे हंस कहते है और जो स्वयं के साथ दूसरों के जीवन में सुधार कर सदगुणों के मार्ग पर चलाते है उसे परमहंस कहते है । छोटे से काली मन्दिर के पुजारी स्वामी रामकृष्ण जी बालक नरेन्द्र को स्वामी विवेकानन्द बना दिये , जिसके कारण वे स्वामी रामकृष्ण परमहंस कहलाये । मनुष्य के शरीर में सात ऐसे दरवाजे हैं – दो कान , दो आंख दो नाक , एक मुख जो इसका सद्उपयोग करता है अर्थात् कैसा देखना , क्या सुनना , क्या खाना , क्या सूंघना इस पर जो विचार करता है वह परमहंस हो जाता है । इस कलियुग में केवल नाम ही आधार है- कलियुग केवल नाम अधारा सुमिरि सुमिरि नर उतराहि पारा ।
आज की कथा में मुख्य यजमान पूर्व विधायक नंदकिशोर मिश्र विशिष्ट अतिथि -संजय लाल श्रीवास्तव रहे। कथा आयोजन समति के देशबन्धु कश्यप, उग्रसेन राय,पंकज गुप्त, समाजसेवी नारायण गुप्त, राजू गुप्त,सत्येन्द्र मिश्रा, प्रमोद गुप्ता, मुरारी पटेल, हरिकेश यादव,बबलू राय,डॉ शक्ति दीक्षित,नागेंद्र गुप्ता,राजेश रैनियार, प्रेमचन्द यादव , उमेश चौरसिया,देवेन्द्र पांडेय,पवन जायसवाल, गौरव जायसवाल, विशाल गुप्ता।