Reported By: Ved Prakash Mishra
Published on: May 20, 2024 | 5:34 PM
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हाटा/कुशीनगर। साहित्य अकादमी के पूर्व सदस्य एवं दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय गोरखपुर के हिंदी विभाग के विभागाध्यक्ष प्रो चित्तरंजन मिश्र ने कहा कि संत कबीर आदमी आदमी में भेद नहीं करते। इसीलिए उन्होंने अपने साहित्य में जाति धर्म से ऊपर उठकर जीवन जीने का संदेश दिया है। वे श्रीनाथ संस्कृत महाविद्यालय के शताब्दी वर्ष समारोह के पंचम मासिक आयोजन एवं मोहन पाण्डेय भ्रमर के निबन्ध संग्रह कठघोड़वा के लोकार्पण के अवसर पर उपस्थित लोगों को संबोधित कर रहे थे।
उन्होंने संत कबीर साहित्य में साहित्य चेतना विषय पर व्याख्यान देते हुए कहा कि कबीर ने समाज में सबको एक होकर रहने की बात कही। सत्य के मूल्य की स्थापना की उनकी कविता दिमाग की काई को साफ करती है।वे विसंगतियों के मुखर विरोधी थे। उनके लिए सभी धर्म एक समान हैं। उन्होंने ऐसे समाज की कल्पना की जिसमें झूठ का कोई जगह न हो।श्री मिश्र ने कबीर के परंपरा, संस्कृत और सत्य के विचारों को केवल मनुष्य के हित के लिए बताया। उन्होंने कहा कि कठघोड़वा निबन्ध संग्रह में लेखक मोहन पाण्डेय भ्रमर ने लोक संस्कृति,लोक कला, प्रकृति और सामाजिक सरोकार से ओतप्रोत विचारों पर निबंध लिखा है जो निश्चित ही समाज की इन समस्याओं पर हमें विचार करना चाहिए।बीज वक्तव्य देवरिया के वरिष्ठ अधिवक्ता एवं लेखक उद्भव मिश्र ने विस्तार से
विषय का प्रवर्तन किया और निबन्ध संग्रह पर विचार व्यक्त किया।
डॉ आर अचल पुलस्तेय ने निबंध संग्रह कठघोड़वा के विषय में उपस्थापित निबंधों पर विस्तार से चर्चा किया। अध्यक्षता कर रहे महाविद्यालय के मंत्री महामहोपाध्याय आचार्य गंगेश्वर पाण्डेय ने आयोजन पर विस्तार से चर्चा किया। प्राचार्य डॉ राजेश कुमार चतुर्वेदी ने स्वागत भाषण दिया। आभार व्यक्त प्रबंधक अग्निवेश मणि ने किया।इस दौरान शैलेन्द्र पाण्डेय असीम, कैप्टन अभिमन्यु पाण्डेय, मधुसूदन पाण्डेय ने काव्य पाठ किया।
इस दौरान डा रामसुबास पाण्डेय, आचार्य रामचंद्र पाण्डेय, डॉ रामानुज द्विवेदी, विश्वास मणि, सच्चिदानंद पाण्डेय,शायर ए हमीद आरज़ू, डा दुष्यंत कुमार सहायक प्रोफेसर किरोड़ीमल कॉलेज नयी दिल्ली, संदीप कुमार पाण्डेय,डा बलिराम राय, सूरज राम आदित्य, अक्षय गिरी, कृष्ण कुमार श्रीवास्तव, विनोद मणि, आदि उपस्थित रहे।
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