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गन्ने की खेती कैसे करें – गन्ना खेती की जानकारी, बसंतकालीन गन्ने की खेती। गन्ने की खेती में इन बारीकियों का रखें ध्यान..

न्यूज अड्डा कसया

Reported By: and

Dec 16, 2021  |  5:52 PM

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गन्ने की खेती कैसे करें – गन्ना खेती की जानकारी, बसंतकालीन गन्ने की खेती। गन्ने की खेती में इन बारीकियों का रखें ध्यान..
क्षेत्र में गन्ने की कटाई शुरू हो गया है।किसान मजदूर लगाकर फसल कटवा रहे हैं। इससे खेतों में चहल-पहल बढ़ गई है। मजदूरों व घास काटने वालों के द्वारा किसान गन्ने की कटाई व लदाई में जुटे हैं। इससे इलाके के किसानों में खुशी देखी जा रही है। किसानो ने बताया कि गन्ना फसल लगाई थी। गन्ना फसल अन्य फसल की तुलना में सुरक्षित रहती है। गन्ना फसल अन्य फसल की तुलना में सुरक्षित रहती है। इस बार जलजमाव होने से कुछ गन्ना फसल बरबाद हुई है।
गन्ने की खेती में किस महीने कौन सा काम है जरूरी-
जनवरी
  • पाले से बचाव के लिए खड़ी फसल में आवश्यकतानुसार सिंचाई करें .
  • शरदकालीन गन्ने के साथ ली गई विभिन्न अन्तः फसलों जैसे सरसों, तोरिया, मसूर, आलू, धनिया, लहसुन, मेथी, गेंदा प्याज तथा गेहूं आदि आवश्यकतानुसार निराई, गुड़ाई, कीट प्रबंधन एवं संतुलित उर्वरकों का प्रयोग करें.
  • बसंतकालीन बुवाई की तैयारी शुरू कर दें. इसके लिए मृदा परीक्षण के बाद ही उर्वरकों का प्रयोग करें.
  • बसंतकालीन बुवाई के लिए कुल क्षेत्रापफल का 1/3 भाग शीघ्र पकने वाली प्रजातियों के अंतर्गत रखें.   इसके साथ ही बुआई के लिए स्वस्थ बीजों का चयन कर उनका विशेष प्रबंध करें.
  • गन्ने से खाली हुए खेत की तैयारी कर पशुओं के लिए चारे की फसल एवं सब्जियों की खेती करें.
  • गन्ने की अगेती की कटाई तापमान यदि कम हो तो न करें, इससे पेड़ी गन्ने में फुटाव उत्तम नहीं होगा.
फरवरी
  • गन्ने की कटाई जमीन से सटाकर करें, जिससे पफुटाव अच्छा होगा.
  • यथासंभव पोगले न छोड़ें, इससे पेड़ी प्रबंध में कठिनाई होगी साथ ही उत्पादन अपेक्षित नहीं होगा.
  • शरदकालीन गन्ने में सिंचाई एवं निराई, गुड़ाई तथा खरपतवार का नियंत्राण करें.
  • गन्ना बीज जिन खेतों में रोकना हो उनमें सिंचाई आदि का विशेष ध्यान रखें. बुवाई पूर्व बीज नर्सरी में यूरिया के प्रयोग से फुटाव अच्छा होता है.
  • पेड़ी गन्ने की देखभाल करें, खाली जगह पर गैप फिलिंग करें तथा सिंचाई व गुड़ाई के बाद एनपीके आदि उर्वरकों का प्रयोग करें.
  • कुल क्षेत्र के अनुसार प्रजातीय संतुलन को ध्यान में रखकर बुआई करें।.
  • गन्ना बीज उपचार के लिए पारायुक्त रसायन एग्लाल 3 प्रतिशत 560 ग्राम, एरिटान 6 प्रतिशत 280 ग्राम या एमईएमसी 6 प्रतिशत 280 ग्राम, या बाविस्टीन 110 ग्राम को घोलकर टुकड़ों को उपचारित करें.
  • बुआई के समय दीमक व अंकुरबेधक के प्रबंधन के लिए फोरेट-10 जी का उपयोग करें. आय को बढ़ाने तथा संसाधनों के समुचित प्रयोग के लिए गन्ने के साथ-साथ उड़द, मूंग, प्रफांसबीन मक्का आदि की फसलें लें.
मार्च
  • अच्छी उपज के लिए उत्तम प्रजातियों एवं बुआई की नई तकनीकों जैसे ट्रेंच विधि का प्रयोग करें.
  • सफेद गिडार के प्रबंधन के लिए बुआई के समय बबरिया वेसियाना एवं मेटारेजियम 5 कि.ग्रा./हेक्टेयर की दर से 60:40 के अनुपात में प्रयोग करें.
  • सह फसल में उर्वरकों की अतिरिक्त मात्रा का प्रयोग करें.
  • शरदकालीन गन्ने में यदि फरवरी में यूरिया की टाप ड्रेसिंग न की तो मार्च में सिंचाई के पश्चात 132 कि.ग्रा. यूरिया/ हेक्टेयर की दर से टॉप ड्रेसिंग करें.
  • बावक गन्ने की कटाई उपरांत खेत में मेड़ जोतने के बाद ठूंठों की छंटाई पंक्तियों के दोनों तरपफ गुड़ाई एवं रिक्त स्थानों में पूर्व अंकुरित पौधों से भराई करें.
  • ऐसीटोबेक्टर एवं पीएसबी 5 कि.ग्रा./हेक्टेयर की दर से प्रथम सिंचाई के उपरांत पौधों के कूंड़ बनाकर डालना चाहिए या बुआई के समय प्रयोग करें.
  • कंडुआ रोग दिखाई देने पर प्रभावी पौधों को नष्ट कर दें.
  • चोटीबेधक के अंड समूह को एकत्रित कर नष्ट कर दें.
  • बसंतकालीन गन्ने में खरपतवार नियंत्राण के लिए 2 किग्रा ऐटराजीन सक्रिय तत्व पानी में घोल बनाकर बुआई के तुरंत बाद छिड़काव करें.
अप्रैल
  • कूंड़ बनाकर यूरिया खाद की दूसरी मात्रा का प्रयोग करें
  • शरदकालीन गन्ने के साथ अंतः फसल की कटाई यदि हो गई हो तो सिंचाई करें एवं उर्वरक की शेष मात्रा कूंड़ बनाकर डाल दें
  • यदि गेहूं के बाद गन्ने की बुआई कर रहे हैं तो लाइन से लाइन की दूरी घटाकर 65 सें.मी. कर लें.
  • बीज की मात्रा भी बढ़ाकर प्रयोग करें, जिससे खेत में पौधों की संख्या उचित मात्रा में रहें. इसी माह में पायरिला का प्रकोप हो सकता है. यदि मित्र कीट अंड परजिवी इपीरिकीनिया मिलेनोल्युका खेत में है तो कीटनाशी का प्रयोग न करें, बल्कि सिंचाई कर हल्के यूरिया का प्रयोग करें
मई
  • सूखे से बचाने के लिए आवश्यकतानुसार सिंचाई करते रहें. इस माह में अगेती चोटीबेधक के नियंत्राण के लिए सिंचाई करते रहें साथ ही सेवीडाल 4:4 जी फोरेट-10 जी कर्टप 25 कि.ग्रा./हेक्टेसर या क्लोरोपायरीपफास 20 ई.सी.लीटर 700 लीटर पानी में घोल बनाकर छिड़काव करें, जब अंडे एवं पतंगें दिखाई पड़े.
  • अगेती चोटीबेधक के लिए ट्राइकोकार्ड 4/हेक्टेयर की दर से प्रयोग करें. फसल की अच्छी बढ़वार कीट नियंत्राण एवं पोषक तत्वों की कमी के लिए यूरिया मैक्रोन्यूट्रीएंट का 2 प्रतिशत घोल एवं कीटनाशक रसायन जैसे एंडोसल्पफान मेटासिड या क्यूनालफास 20 ई.सी का 1 प्रतिशत घोल का छिड़काव करें.
  • यदि बसंतकालीन बुआई के समय खरपतवार नियंत्राण के लिए ऐट्राजीन का प्रयोग किया है तो इस माह 2-4 डी 1कि.ग्रा. सक्रिय तत्व छिड़काव करें.
जून
  • उर्वरक की शेष मात्रा इस माह अवश्य पूर्ण कर लें.
  • गुड़ाई पूर्ण करने के पश्चात मिट्टी चढ़ाई का कार्य अवश्य करें.
  • खरपतवार नियंत्राण के लिए निंदाई करें.
  • खरपतवार नियंत्रण के लिए 2, 4 डी. 1 किग्रा. सक्रिय तत्व 500-600 लीटर पानी में घोल बनाकर छिड़काव करें.

जुलाई

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  • गन्ने के जिन खेतों का ब्यात पूरा हो चुका है उनमें मिट्टी चढ़ा दें.
  • चोटीबेधक की मादा तिल्ली जुलाई में पत्तियों की निचली सतह पर समूह में अंडे देती हैं.
  • अंडे वाली पत्तियों को नष्ट कर दें तथा कार्बोफ्रयूरान 3 जी. 25 क्विंटल/हेक्टेयर की दर से अवश्य प्रयोग करें.
  • चोटीबेधक के नियंत्राण के लिए ट्राइकोकार्ड 4/हेक्टेयर की दर से प्रयोग करें.
  • गुरदासपुरबेधक के नियंत्रण के लिए सूखे अगोले को काटकर जमीन में दबा दें तथा क्लोरोपायरीपफाॅस 20 ई.सी./लीटर का प्रति हेक्टेयर की दर से छिड़काव करें.
  • जल निकासी का उचित प्रबंधन करें.
  • वर्षा के दिनों में पर्याप्त वर्षा न होने पर 8-10 दिनों के अंतराल पर सिंचाई करते रहें.
  • सूखे से बचने, जल के समुचित उपयोग और बिजली की कमी से निपटने के लिए ड्रिप सिंचाई प्रयोग करें
  • सफेद गिडार के नियंत्राण के लिए लाइट ट्रैप या पौधों पर कीटनाशी छिड़काव कर नियंत्राण करें.
  • शरदकालीन गन्ने को गिरने से बचाने के लिए बंधाई अवश्य करें.
अगस्त
  • गुरदासपुरबेधक एवं सफेद मक्खी के प्रभावी प्रबंधन के लिए जल निकास की व्यवस्था करें. क्यूनालफास 36 ई.सी. या क्लोरोपायरीपफास 20 ई.सी. 1-1 .5 लीटर प्रति हेक्टेयर की दर से छिड़काव करें.
  • गन्ने की दूसरी बंधाई अवश्य करें.
  • अगस्त में गन्ने पर चढ़ने वाले खरपतवार यथा आइपोमिया प्रजाति (बेल) की बढ़वार होती है, जिसे खेत से उखाड़कर फेक दें अथवा मेट सल्फुरान मिथाइल ;एमएसएम 4 ग्राम/हेक्टेयर की दर से 500-600 लीटर पानी में घोल बनाकर जब इसमें छोटे पौधे खेत में दिखाई पड़े तो प्रयोग करना चहिए.
सितंबर
  • गन्ने की तृतीय बंधाई का कार्य पूर्ण कर लें.
  • शरदकालीन बुआई के लिए खेत की तैयारी शुरू कर दें.
  • पायरिला का प्रकोप अधिक होने पर क्लोरोपायरीपफास 20 ईसी/लीटर या मोनोक्रोटोपफाॅस 36 ई.सी., 10-15 लीटर/ हेक्टेयर यर की दर से उपयोग करें.
अक्टूबर
  • शरदकालीन बुआई प्रारंभ कर दें, वैज्ञानिक बुआई विधी या ट्रेंच विधि का प्रयोग करें.
  • यथासंभव गन्ने की लाइनें पूरब से पश्चिम की ओर होनी चाहिए.
  • लाइन से लाइन की दूरी 90 सें.मी. रखें.
  • गन्ना बीज की पारायुक्त रसायन से अवश्य उपचारित करें. आय बढ़ाने के लिए शरदकालीन बुआई में सहफसली को अवश्य अपनाएं.

नवंबर

  • फसल की अच्छी बढ़वार के लिए 12-15 दिनों के अंतराल पर सिंचाई करें.
  • अच्छी पेडी लेने के लिए गन्ने की कटाई गन्ने का खेत सतह से करें, ताकि फुटाव अच्छा हो.
दिसंबर
  • अंत में फसल में निराई-गुड़ाई करें.
  • आवश्यकतानुसार सिंचाई करते रहें.
  • पेड़ी फसल काटने के बाद यदि गेहूं की बुआई करना चाहते हैं तो गेहूं की पछेती किस्मों का चुनाव करें.
  • खेत मे जीवाश्म खाद्य गोबर कम्पोस्ट को डालकर या फैलाकर जुताई कर दें.
  • पाले से फसल को बचाने के लिए सिंचाई करें.
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