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ABVP Kushinagar/कुशीनगर: अंकित द्विवेदी घोषित हुए पुनः ABVP के सह् प्रान्त विकासार्थ विद्यार्थी प्रमुख

ABVP Kushinagar/कुशीनगर: अंकित द्विवेदी घोषित हुए पुनः ABVP के सह् प्रान्त विकासार्थ विद्यार्थी प्रमुख
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कुशीनगर । अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद् , गोरक्ष प्रान्त का 61वाँ प्रांतीय अधिवेशन 20 दिसम्बर 2021 को गोरखपुर के महायोगी बाबा गंभीरनाथ सभागार में सम्पन्न हुआ।

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अधिवेशन के संदर्भ में कुशीनगर से पूर्व कालेज कार्यकारणी सदस्य, नगर सह् मंत्री, नगर मंत्री, जिला संयोजक, विभाग सह् संयोजक, प्रान्त कार्यसमिति सदस्य एवं प्रान्त सह् विकासार्थ। विद्यार्थी प्रमुख के दायित्वों का निर्वहन कर चुके अंकित द्विवेदी से न्यूज़ अड्डा की खास बातचीत हुई। अंकित द्विवेदी को पुनः प्रान्त सह् विकासार्थ विद्यार्थी प्रमुख के दायित्व की जिम्मेदारी सौंपी गई। अंकित द्विवेदी ने प्रदेश नेतृत्व को धन्यवाद एवं आभार ज्ञापित करते हुए कहा कि एक बार पुनः प्रान्त के 16 जिलों के जिम्मेदारी एवं नेतृत्व के दायित्व के लिए धन्यवाद। द्विवेदी ने कहा कि अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद् अपने स्थापना काल 9 जुलाई 1949 से ही छात्र हीत, समाजहित, एवं राष्ट्र हित मे कार्य करने वाली एकलौती छात्र संगठन है, उन्होंने कहा कि वर्तमान सदी आई०टी० एवं आधुनिकरण की सदी है आज हमने इंसान की तरह काम करने वाले रोबोट एवं आधुनिक मशीनों को बना लिया है, लेकिन इससे हमें अपने जीवन मे जितनी सुविधा मिली है कही न कही नुकसान भी हुआ है, आज इस आधुनिकरण की ही देन है कि हम सी जिनपिंग जैसे तानाशाहों को जन्म दे रहे है, ऐसी ही चुनौतियों को ध्यान में रखते हुए अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद् 1990 में Student for Development (SFD) विकासार्थ विद्यार्थी नाम से एक आयाम बनाती है जो इस आधुनिकरण के युग मे पर्यावरण क्षेत्र में काम करे जल, जीवन, जमीन, जंगल, जानवर (5J) को ध्यान में रख कर कार्य करे । उन्होंने कहा कि यह दुर्भाग्य है कि आज भी हम पश्चात्यों (पश्चमी सभय्यता) को विकसित मानते है जबकि हमारी संस्कृति , भारतीय , सनातन संस्कृति जिसमें कभी समाप्त न होने वाली एक शृष्टि की कल्पना दिखाई देती हैं।

दुनिया ने आज पेड़ और पर्यावरण के प्रति जागरूकता दिखाई है लेकिन हमारी संस्कृति में करोङो वर्ष पहले से ही जल की पूजा, पृथ्वी (जमीन, भूमि) की पूजा, पर्यावरण (जंगल) की पूजा जैसे पीपल, तुलसी, बरगद की पूजा, हम गाय को माँ का दर्जा देने वाली संस्कृति सर्वे भवन्ति सुखिनः मंत्र गुनगुनाने वाले सभी का जीवन सुख मय हो इसकी कल्पना करने वाली संस्कृति के लोग है, हमे कुछ नया नही करना हैं पुनः उसी संस्कृति में लौट कर उसी जीवन चक्र को अपना कर पर्यावरण की चिंता करने की आवश्यकता है,उक्त बातें अंकित द्विवेदी ने कहा|

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