Reported By: सुनील नीलम
Published on: Feb 15, 2023 | 3:54 PM
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कुशीनगर। संसार व समाज में फैले अनाचार, अधर्म व निरंकुश शासन कर रहे जरासंध, कंस, शिशुपाल जैसे अधर्मियो का अंत करने के लिए भगवान को अवतार लेना पड़ा और समाज का कल्याण हुआ। हमारे बीच भगवान आनंद रूप में प्रकट हो पूतना का पतन करते हैं। यह बातें आचार्य विनय शास्त्री ने कही। वह समउर बाजार से सटे भगवानपुर में श्रीमद् भागवत कथा के पांचवें दिन मंगलवार की रात्रि श्रोताओं को श्रीकृष्ण जन्म की कथा सुना रहे थे। कथावाचक ने कहा कि भगवान श्रीकृष्ण
अर्जुन को संबोधित करते हुए कहते हैं कि जब जब धर्म की हानि होती है, जब जब अधर्म बढ़ता है, तब सज्जन लोगों की रक्षा के लिए मै आता हूं, दुष्टों के विनाश करने के लिए व धर्म की स्थापना के लिए मैं आता हूं। कथावाचक ने कहा कि हमारे बीच भगवान आनंद रूप में प्रकट हो पूतना का पतन करते हैं। जीव की अविद्या, वासना, अज्ञानता ही पूतना है। जब भगवान का स्पर्श होता है तो विषय वासनाओं का अंत होता है। पं. गिरीश नारायण मिश्र, पं नंद जी पाठक ने परायण किया। रमेश श्रीवास्तव, संत जी व राजू दास ने संगीत पर संगत की।
इस दौरान यजमान कृपाशंकर गिरी, डा. रवीन्द्र गिरी, हरेंद्र पांडेय, राधा सिंह, दर्शन सिंह, उमाकांत सिंह, सुदर्शन सिंह, देवता सिंह, बलम गिरी, शंभू गिरी, तेज बहादुर गिरी, प्रमोद गिरी, संजय, संदीप सुनीता, गीता, आरती,उमरावती गिरी, सुरेन्द्र पांडेय, रवीन्द्र पांडेय, रामाधार गिरी, संत जी यादव, गोपीचन्द्र यादव, जमुना यादव, कवींद्र, गोविंद,मनोज, रामायण गिरी आदि उपस्थित रहे।
Topics: तुर्कपट्टी