Reported By: सुनील नीलम
Published on: Feb 11, 2023 | 5:05 PM
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कुशीनगर। कलयुग में मनुष्य अपने भावों को सत्संग के जरिए ही स्थिर रख सकता है। सत्संग के बिना विवेक उत्पन्न नहीं हो सकता और बिना सौभाग्य के सत्संग सुलभ नहीं हो सकता। यह बातें आचार्य विनय शास्त्री ने कही।
समउर बाजार से सटे सीमावर्ती बिहार प्रांत के भगवानपुर गांव में श्रीमद् भागवत कथा के प्रथम दिन शुक्रवार की रात्रि नारद भक्ति संवाद , गोकर्ण व धुंधकारी प्रसंग के माध्यम से कथा महात्म्य पर प्रकाश डालते हुए कथावाचक आचार्य विनय पांडेय ने कही। कथावाचक ने कहा कि इस श्रीमद् भागवत कथा का सात दिनों तक श्रवण करने से मनुष्य के सात जन्मों के पाप धुल जाते है। मनुष्य अपने जीवन में सातों दिवस को किसी ने किसी देवता की पूजा अर्चना करता है, लेकिन मानव जीवन में आठवां दिवस परिवार के लिए होता है। कलयुग में केवल नाम मात्र से मानव जीवन धन्य हो जाता है, और उसे संसारिक मायाजाल से मुक्त होकर भवसागर से पार लगाने का मार्ग प्रशस्त करता है।
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