कुशीनगर। अब ये कहने में कोई हिचक नहीं कि लक्ज़री बसों का नेटवर्क संभागीय परिवहन अधिकारी की नाक के नीचे खुलकर दौड़ रहा है। सरकार का स्पष्ट आदेश है कि जो वाहन बार-बार चालान हो चुके हों, उन्हें जब्त कर थाने में रखा जाए जब तक कि सभी चालान निपटा न दिए जाएं। लेकिन जमीनी हकीकत सरकार की मंशा से एकदम उलट है।
सूत्रों के मुताबिक, यात्री कर अधिकारी और उप संभागीय परिवहन अधिकारी की “युगलबंदी” भ्रष्टाचार की गंगोत्री में गोता लगाकर हाईवे पर दर्जनों बसों और ट्रकों को खुली छूट दे रही है।
👉 गोरखपुर परिवहन कार्यालय में पंजीकृत एक बस 20 बार चालान हो चुकी है।
👉 वहीं, गोपालगंज परिवहन दफ्तर की एक अन्य बस पर 98 बार चालान होने के बावजूद वह धड़ल्ले से हाईवे पर दौड़ रही है।
ये तो सिर्फ बानगी है… असली किस्से और भी लंबे हैं। खबर के साथ चालान का स्क्रीनशॉट भी दिया जा रहा है, जिसे सूत्रों ने उपलब्ध कराया है।
भ्रष्टाचार की इस गंगोत्री में परिवहन विभाग के कारनामों की पूरी सूची पाठकों के सामने लाने का सिलसिला जारी रहेगा।
“चालान का खेल – कानून का मज़ाक”
सरकार का आदेश: चालान क्लियर किए बिना वाहन जब्त रहें।
हकीकत: दर्जनों बसें-ट्रक चालान के बोझ तले दबे होने के बाद भी फर्राटे भर रहे।
गोरखपुर रजिस्ट्रेशन वाली बस: 20 बार चालान।
गोपालगंज रजिस्ट्रेशन वाली बस: 98 बार चालान।
सवाल: अगर चालान के बाद भी सड़क पर दौड़ रहीं बसें… तो फिर कानून किसके लिए?