Reported By: Ram Bihari Rao
Published on: Oct 2, 2021 | 2:26 PM
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रामकोला/कुशीनगर (न्यूज अड्डा)। रामकोला क्षेत्र में गन्ने के बाद अब धान की फसल पर मौसम की मार पड़नी शुरू हो गयी है। पूरे क्षेत्र में इस बार धान की फसल ठीक होने से किसानों को धान की पैदावार अच्छी होने की उम्मीद थी लेकिन बारिश ने फसल को नुकसान पहुंचा कर आशा को निराशा में तब्दील कर दिया है,इसके साथ ही अगली फसल के लिए भी मुसीबत खड़ी कर दी है।
अत्यधिक बारिश से खेतों का नजारा बदला हुआ नजर आ रहा है।शीघ्र पकने वाली धान की प्रजातियों के लिए भारी बारिश का होना काफी नुकसानदायक साबित हुआ है।हवा के झोंको से धान की फसलें गिर गयी है जिससे किसान परेशान व चिन्तित है।
खेत में खड़ी फसल बर्बाद होता देख किसानों का कलेजा फट रहा है। किसानों ने कहा कि साल भर की मेहनत को बारिश ने एक झटके में चकनाचूर कर दिया है। बच्चों के स्कूल फीस बाकी है, किसानों को अपने बेटे- बेटियों के हाथ पीले करने हैं, नया बीज लाना है, फिर से खेत तैयार करने के लिए पूँजी लगाना है। लेकिन नुकसान होने के बाद वह किस तरह से यह सारी व्यवस्था करेंगे उसको लेकर परेशान हैं। अजय सिंह, विश्वनाथ मद्धेशिया,प्रमोद सिंह, असरन शरण मिश्र,गोपाल राव,गोविन्द मद्धेशिया, ओमप्रकाश सिंह सहित तमाम किसानों का कहना है कि किसान लगातार दो वर्ष से प्रकृति के दंश को झेल रहे है।भारी बारिश के कारण गन्ना खेतों में सूख जा रहा है।खेत में लगाई गयी पूँजी नही निकल पा रही है। इस वर्ष भी वही हाल है।तेजी से गन्ना सूख रहा है।हम किसान खेती पर ही आश्रित है। खेती के बदौलत ही बच्चों की पढ़ाई -लिखाई,शादी-विवाह, इलाज आदि होता है।किसाना का सभी कार्य खेती पर ही आधारित है। पूर्वांचल का किसान अपने जोत के अधिकांश हिस्सों में गन्ने की बुवाई करता है और कुछ हिस्से पर अन्य फसल उगाता है।किसान अभी गन्ने की बर्बादी का दंश झेल ही रहा था कि बार-बार तेज बारिश आने और साथ हवा का बहने से धान की फसल पर भी ग्रहण लग गया है।खेत में धान की फसल गिरी हुई है और उसमें लबालब पानी भरा हुआ है। इस बार बारिश ने किसानों को कहीं का नही छोड़ा है। खड़ी और कटी धान की फसल बर्बाद हो रही है।रही सही कसर को मूसलाधार बारिश ने पूरा कर दी जिससे किसानों में मायूसी है। सरकार को प्रभावित किसानों को धान और गन्ना की बर्बाद हुई फसल का मुआवजा देना चाहिए ताकि उन्हें राहत मिल सके। फसलें बर्बाद होने से किसानों के सपने चूर-चूर हो गये है।
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